हरियाणा में मनरेगा घोटाले पर मुख्यमंत्री के सख्त कदम, 5 कर्मचारियों को किया सस्पेंड, जांच के आदेश जारी
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जिला कैथल में मनरेगा घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में उच्चाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे घोटाले की पूरी जांच करें और इसमें शामिल दोषियों पर नियमानुसार (As Per Law) कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
MNREGA scam in Haryana : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) ने कैथल जिले में हुए मनरेगा (MGNREGA) घोटाले को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए चार जूनियर इंजीनियर्स और एबीपीओ (ABPO) को उनके पदों से तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई मीडिया रिपोर्ट्स (Media Reports) के आधार पर की है, जिनमें कैथल में मनरेगा के तहत अनियमितताओं (Irregularities) की खबरें सामने आई थीं।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जिला कैथल में मनरेगा घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में उच्चाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे घोटाले की पूरी जांच करें और इसमें शामिल दोषियों पर नियमानुसार (As Per Law) कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें। एबीपीओ (ABPO), सीवन और सरस्वती हेरिटेज डिवीजन-3 में तैनात चार जूनियर इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से उनके वर्तमान कार्यभार से हटाकर उनके निदेशालय (Directorate) में रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है।
मनरेगा घोटाले की जांच को लेकर सख्त निर्देश
कैथल में हुए मनरेगा घोटाले (MGNREGA Scam) की खबरें विभिन्न अखबारों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Media Platforms) पर प्रकाशित हुई थीं। इन खबरों में कैथल जिले में भ्रष्टाचार (Corruption) के गंभीर आरोप लगाए गए, जिनमें मनरेगा के कार्यों में धन की हेराफेरी और प्रोजेक्ट्स की अनियमितताएं शामिल थीं। मुख्यमंत्री ने इन आरोपों पर गंभीर संज्ञान लेते हुए ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के निदेशक को तुरंत जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि इस जांच की रिपोर्ट (Investigation Report) 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए। अगर जांच में दोषियों के खिलाफ सबूत मिलते हैं, तो उनके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कैथल के अधिकारियों पर गिरी गाज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कैथल जिले में मनरेगा प्रोजेक्ट्स (Projects) में भारी गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री ने इस घोटाले की खबरें सामने आने के बाद तुरंत हरकत में आते हुए एबीपीओ (ABPO) सीवन और सरस्वती हेरिटेज डिवीजन-3 के चार जूनियर इंजीनियर्स को उनके पदों से हटा दिया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ (Zero Tolerance Policy) के तहत की गई है।
सरकार ने इस मामले में दोषियों को किसी भी कीमत पर न बख्शने का संदेश दिया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग (Rural Development and Panchayat Department) को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे घोटाले की तह तक जाकर पूरी जांच करें और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें।
ग्रामीण विकास विभाग को मिली बड़ी जिम्मेदारी
हरियाणा सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को निर्देश दिया है कि वे घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेजों (Documents) और कार्यों की गहन जांच करें। इसके अलावा, विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव को आदेश दिए गए हैं कि वे इस मामले की ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ (Action Taken Report) तय समय सीमा के अंदर प्रस्तुत करें।
यह घोटाला सरकार की पारदर्शिता (Transparency) और विकास कार्यों में ईमानदारी सुनिश्चित करने के दावों पर सवाल उठाता है। सरकार की प्राथमिकता है कि ऐसे मामलों में शामिल लोगों को सख्त सजा दी जाए और जनता के पैसों की बर्बादी रोकी जाए।