हरियाणा की SC लिस्ट से हटेंगे ये आपत्तिजनक नाम, सैनी सरकार ने केंद्र को लिखा पत्र
सूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार ने इस महीने केंद्र को एक आधिकारिक पत्र (Official Letter) भेजा है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं बल्कि अब अपनी प्रासंगिकता भी खो चुके हैं। पत्र में सुझाव दिया गया है कि इन नामों को हटाने के लिए संविधान (SC) आदेश 1950 में संशोधन किया जाए।
हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) की सूची में से तीन जातियों के नाम हटाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। यह फैसला जातिगत नामों (Caste Names) को आपत्तिजनक बताते हुए और उनके सामाजिक प्रभावों की समीक्षा के बाद लिया गया है।
सूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार ने इस महीने केंद्र को एक आधिकारिक पत्र (Official Letter) भेजा है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं बल्कि अब अपनी प्रासंगिकता भी खो चुके हैं। पत्र में सुझाव दिया गया है कि इन नामों को हटाने के लिए संविधान (SC) आदेश 1950 में संशोधन किया जाए।
हरियाणा सरकार की अनुसूचित जाति सूची की समीक्षा
हरियाणा सरकार ने 12 साल के बाद अनुसूचित जाति सूची की समीक्षा की है। समीक्षा के बाद तीन नाम जिनमें “चुरा,” “भंगी,” और “मोची” शामिल हैं को सूची से हटाने की सिफारिश की गई है। वर्तमान में “चुरा” और “भंगी” क्रम संख्या 2 पर अंकित हैं जबकि “मोची” को क्रम संख्या 9 पर रखा गया है। सरकार ने दावा किया है कि ये नाम जातिगत पूर्वाग्रह (Caste Prejudice) को बढ़ावा देते हैं और अक्सर अपमानजनक संदर्भों में उपयोग किए जाते हैं।
2013 में भी उठी थी मांग
साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने भी ऐसा ही एक पत्र केंद्र को लिखा था। हालांकि उस पत्र का कोई रिकॉर्ड (Record) उपलब्ध नहीं है। अब मौजूदा सरकार के नए पत्र को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है और इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
हरियाणा सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
जातिगत पूर्वाग्रह का हिस्सा बनते हैं नाम
1. सरकार ने कहा है कि ये नाम सामाजिक भेदभाव (Social Discrimination) को बढ़ावा देते हैं। पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े होने के बावजूद इन्हें अक्सर नकारात्मक और अपमानजनक रूप से पेश किया जाता है।
2. संविधान में संशोधन की जरूरत
सरकार ने सुझाव दिया है कि इन नामों को हटाने के लिए संविधान (SC) आदेश 1950 में संशोधन किया जाना चाहिए। यह कदम अन्य जातियों को जोड़ने या निकालने के मामलों में भी उठाया गया है।