आम की फसल को बर्बाद कर देगा ये खतरनाक रोग, ये उपाये करते ही फल से लद जाएंगे पेड़
आम में जो मधिया रोग फैलता है उसे जड़ से खत्म करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL (Imidacloprid) जैसे प्रभावी कीटनाशकों का छिड़काव करना सबसे अच्छा उपाय है।
खेती में आम की फसल बहुत स्थान रखती है। लेकिन गर्मियों में फल आने से पहले आम के पेड़ में जो रोग लगने की संभावना है वह किसानों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। मंजर (Blossoms) आने पर यह बीमारी तेज़ी से फैलने लगती है और उत्पादन पर बहुत बुरा असर डालती है। ऐसे में किसानों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस बीमारी से बचने के लिए वे क्या उपाय कर सकते हैं। आइए जानें कैसे आम की फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं और इस बीमारी से निजात पा सकते हैं।
आम के पेड़ों में मंजर आते ही घेर लेता है रोग
आम का पेड़ फसल के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन हर साल इसके मंजर (Flowers) आने पर एक डर साथ आता है—मधिया रोग। आम के पेड़ पर जब मंजर आते हैं तो कुछ समय बाद मधिया नामक कीट रोग का आक्रमण शुरू हो जाता है। इस रोग से पेड़ की पत्तियों, फूलों और कलियों को नुकसान पहुंचता है जिससे उत्पादन घटने लगता है। यह रोग बौर यानि मंजर पर हमला करता है और पूरे पेड़ की प्रगति में रुकावट डालता है।
रोग को बढ़ने से रोकने के लिए आवश्यक है कि किसान समय रहते ध्यान दें और इस घातक रोग से मुकाबला करें। बहुत सारे किसान इस समस्या से परेशान रहते हैं और समय रहते उपाय न अपनाने के कारण उनका आम का उत्पादन प्रभावित हो जाता है। आज हम आपको एक खास उपाय बताने जा रहे हैं जो इस बीमारी से बचाव कर सकता है और आपकी फसल को बचाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
कौन सा उपाय करेगा आम की फसल को सुरक्षित?
आम की फसल को बर्बाद होने से बचाने के लिए छंटाई का महत्व बहुत अधिक है। छंटाई (Pruning) करने से पेड़ की बेजा और सूखी टहनियां हटाई जाती हैं जिससे पेड़ में नई वृद्धि होती है और कीटों के आक्रमण को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, इसके माध्यम से बौर के अच्छे विकास में भी मदद मिलती है। आम के पेड़ को स्वस्थ रखने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि नए कोंपल और मंजर बगैर रोग के बेहतर तरीके से पनपते हैं।
यह कीटनाशक विशेष रूप से आम के पेड़ों में चूसने वाले कीटों के प्रभाव को कम करता है और अन्य हानिकारक कीटों को भी नष्ट कर देता है। यह दवा उपयोग करने में आसान है और किसान के लिए सबसे अधिक लाभकारी साबित होती है। इस दवा का सही समय पर उपयोग करने से कीट रोग नियंत्रण में रहते हैं और फसल का उत्पादन बढ़ जाता है।
मधिया रोग से बचाव करने के लिए दवाओं का उपयोग
इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL दवा का प्रयोग आम की फसल में मधिया रोग और अन्य कीटों से बचाव के लिए किया जाता है। इसे उपयोग करने का तरीका बहुत सरल है: 10 लीटर पानी में 4-6 मिलीलीटर दवा मिलाकर घोल तैयार करें। इस घोल को अपने आम के पेड़ों पर अच्छी तरह से छिड़कें। यह छिड़काव न केवल मधिया रोग बल्कि अन्य कई कीटों के प्रकोप को भी कम करता है। जब आप इसे नियमित रूप से सही समय पर छिड़कते हैं तो यह आपकी फसल को प्रभावित करने वाली समस्याओं से पूरी तरह छुटकारा दिला सकता है।
सालों से चले आ रहे समस्याओं से निजात
किसान की कठिनाइयों का सामना करते हुए यही कहा जा सकता है कि इस इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL दवा का छिड़काव बहुत प्रभावी तरीका है। इससे न केवल कीटों का नियंत्रण होता है बल्कि आम की फसल पर रोग के असर को भी कम किया जा सकता है। इसके नियमित उपयोग से आम के पेड़ स्वस्थ रहते हैं और उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आती। जब यह दवा सही तरह से इस्तेमाल की जाती है तो उत्पादन में शानदार सुधार देखने को मिलता है।
हालांकि इस दवा का छिड़काव नियमित रूप से किया जाना चाहिए और सही अवधि में किया जाना चाहिए, ताकि आपके आम की फसल पर कोई प्रभाव न हो। अंततः, किसान अब निश्चित हो सकते हैं कि इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL जैसे प्रभावी उपाय के साथ वे अपने आम के पेड़ों को मधिया रोग से सुरक्षित रख सकते हैं। इसके साथ ही किसान की मेहनत का फल बंपर उत्पादन में बदल सकता है।