Haryana New District : हरियाणा में नए जिलों की प्रक्रिया तेज़, इन इलाकों को जिला बनाने पर हो रही सबसे ज्यादा चर्चा
हरियाणा में प्रशासनिक ढांचे (administrative structure) को मजबूत करने की कवायद फिर से शुरू हो गई है।
Haryana New District News : राज्य सरकार ने नए जिलों, उपमंडलों, तहसीलों और उप-तहसीलों के गठन के लिए एक उच्चस्तरीय (high-level) समिति का गठन किया है। इस समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का समय दिया गया है। करनाल के असंध, हिसार के हांसी, सिरसा के डबवाली, गुरुग्राम के मानेसर और सोनीपत के गोहाना जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से जिला बनाए जाने की मांग उठती रही है।
राज्य सरकार द्वारा गठित इस समिति की अध्यक्षता विकास और पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार करेंगे। इसमें शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, राजस्व मंत्री विपुल गोयल और कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा भी शामिल हैं। यह समिति प्रदेश में प्रशासनिक सीमाओं (boundaries) में बदलाव की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगी।
विधायकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण
वित्तीय आयुक्त राजस्व और अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अनुराग रस्तोगी ने नई समिति के गठन की अधिसूचना जारी की है। जरूरत पड़ने पर इस समिति में कुछ विधायकों को भी शामिल किया जा सकता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के सुझावों को ध्यान में रखा जा सके।
इसके अतिरिक्त, राजस्व और विकास विभाग के प्रधान सचिव भी इस समिति को रिपोर्ट तैयार करने में सहायता करेंगे। मौजूदा समय में हांसी और डबवाली को पुलिस जिले का दर्जा प्राप्त है। इसे देखते हुए, इन स्थानों को सामान्य जिलों (regular districts) के रूप में बदलने में किसी बड़ी बाधा की संभावना नहीं है।
लंबे समय से लंबित हैं कई मांगें
राज्य में प्रशासनिक सुधारों की यह प्रक्रिया पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कई स्थानों को उपमंडल और तहसील का दर्जा दिए जाने की मांगें उठती रही हैं। भिवानी जिले के बवानी खेड़ा और रोहतक जिले के कलानौर को उपमंडल का दर्जा देने की मांग वर्षों से विचाराधीन है।
हाल के बदलावों पर एक नजर
दिसंबर 2023 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर प्रदेश में 6 नए उपमंडल बनाए गए थे। इनमें मानेसर (गुरुग्राम), नीलोखेड़ी (करनाल), इसराना (पानीपत), छछरौली (यमुनानगर), नांगल चौधरी (महेंद्रगढ़) और जुलाना (जींद) शामिल हैं। यह बदलाव राज्य की प्रशासनिक कार्यक्षमता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किए गए थे।
क्या होगा बदलाव का असर?
अगर नए जिलों और उपमंडलों का गठन होता है तो इससे स्थानीय प्रशासन (local administration) को मजबूत करने में मदद मिलेगी। नागरिकों को सरकारी सेवाएं तेजी से मिल सकेंगी और विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। वहीं, यह बदलाव संबंधित क्षेत्रों के आर्थिक विकास (economic development) को भी गति देगा।
राजनीतिक समीकरण भी हो सकते हैं प्रभावित
नए जिलों और उपमंडलों के गठन से राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव हो सकता है। प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन से क्षेत्रों में नेतृत्व की नई संभावनाएं बन सकती हैं। साथ ही, यह प्रक्रिया आगामी विधानसभा चुनावों (assembly elections) में भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है।