हरियाणा में इन स्कूल संचालकों पर गिरफ्तारी की तलवार, कोरोना काल में फर्जी प्रमाण पत्र घोटाला उजागर
The sword of arrest hangs over these school operators in Haryana, fake certificate scam exposed during Corona period
हरियाणा से एक चौंकाने वाली (shocking) खबर सामने आई है। राज्य के कुछ निजी स्कूलों (private schools) पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक इन स्कूलों ने कोरोना काल (COVID-19 period) में छात्रों के फर्जी प्रमाण पत्र (fake certificates) और फर्जी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) तैयार किए। इन फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 12वीं कक्षा के छात्रों का फर्जी रिजल्ट तैयार किया गया था।
हालांकि, इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HBSE) ने इन दस्तावेजों की सत्यता की जांच की। सिरसा के एसपी विक्रांत भूषण ने तुरंत कार्रवाई करते हुए CIA टीम को निर्देश दिए हैं कि सभी दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। इसी क्रम में दो दिन पहले ही एक क्लर्क को हिरासत में लिया गया।
अप्रैल 2021 में हुआ था बड़ा फर्जीवाड़ा
मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल 2021 में गांव पतली डाबर स्थित एक निजी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने 11वीं कक्षा के आठ छात्रों के लिए फर्जी प्रमाण पत्र और स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट तैयार किए थे। इसके बाद इन छात्रों के 12वीं कक्षा के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए। लेकिन हरियाणा बोर्ड (HBSE) ने समय रहते इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया और छात्रों का रिजल्ट रोक दिया।
शिकायत मिलने पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के सचिव ने 30 सितंबर 2022 को सिरसा में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में यह आरोप लगाया गया कि इन स्कूलों ने न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया बल्कि बोर्ड को भी फर्जी रिकॉर्ड भेजकर धोखा दिया।
इन स्कूलों और संचालकों पर दर्ज हुए केस
इस मामले में सिरसा के श्रीगुरु तेग बहादुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल पतली डाबर, ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल मानक दिवान, और श्रीगुरु नानक देव सीनियर सेकेंडरी स्कूल भंगू सहित कई अन्य स्कूलों पर केस दर्ज किया गया है। इन स्कूलों के प्रबंधकों, प्रिंसिपल, और क्लर्क के खिलाफ धोखाधड़ी के तहत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
गांव पतली डाबर के एक क्लर्क, सुखविंद्र सिंह उर्फ गगन, की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य दोषियों की तलाश जारी है। इन सभी पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, और 120बी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
कैसे हुआ फर्जी दस्तावेजों का खुलासा?
जानकारी के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा विभाग के आदेशानुसार, अप्रैल 2021 में सीनियर सेकेंडरी परीक्षा रद्द कर दी गई थी। इसके बाद सीधा रिजल्ट तैयार किया गया। लेकिन जिन छात्रों ने अन्य राज्यों के बोर्ड से सेकेंडरी परीक्षा पास की थी, उनके दस्तावेजों की जांच की गई।
जांच में पाया गया कि कुछ छात्रों के सेकेंडरी प्रमाण पत्र हरियाणा शिक्षा बोर्ड के समकक्ष नहीं थे। इन फर्जी दस्तावेजों को स्कूलों ने सत्यापित नहीं किया, जिससे छात्रों को 12वीं कक्षा में प्रवेश मिल गया।
जांच में लगी CIA टीम
इस फर्जीवाड़े की जांच का काम सिरसा पुलिस की CIA टीम को सौंपा गया है। टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि छात्रों के ये फर्जी प्रमाण पत्र कहां से और कैसे तैयार हुए। जिन भी स्कूलों की संलिप्तता इस मामले में पाई जाएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सिरसा के एसपी विक्रांत भूषण ने स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बहुत गंभीर अपराध है और इसमें शामिल सभी लोगों को कानून के दायरे में लाया जाएगा।”
हरियाणा शिक्षा बोर्ड का सख्त रुख
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी स्कूलों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे छात्रों के दस्तावेजों की जांच करें और केवल सत्यापित छात्रों को ही प्रवेश दें। बोर्ड का कहना है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से न केवल छात्रों का भविष्य खराब होता है बल्कि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं। इस मामले में जिन स्कूलों और उनके प्रबंधकों पर आरोप लगे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। सभी दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और शिक्षा बोर्ड मिलकर काम कर रहे हैं।