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Cotton Price: कपास की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी, आने वाले नए साल पर किसानों को मिलेगा बड़ा तोहफा

विश्वभर में कपास के उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है जिसके कारण कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2024 में 117.4 मिलियन गांठ का उत्पादन हो सकता है। नवंबर महीने में 1.2 मिलियन गांठ का इजाफा हुआ और इसमें भारत और अर्जेंटीना का अहम योगदान रहा है। भारत में 1 मिलियन गांठ का उत्पादन बढ़ा है जिससे देश का उत्पादन और अधिक बढ़ा है।

Cotton Price Update: दिसंबर 2024 की शुरुआत में कपास की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है। पिछले तीन हफ्तों से इसका मूल्य लगातार घटता जा रहा है खासकर अमेरिकी बाजार (American Market) में। अमेरिकी कॉटन के भाव 69.50 डॉलर प्रति पाउंड से नीचे चले गए हैं जो कि 29 नवंबर को $73 के पार थे। एक महीने में लगातार गिरावट की इस प्रवृत्ति ने बाजार को प्रभावित किया है। अब तक 2024 में कपास की कीमतों में लगभग 15% की गिरावट देखी गई है।

विश्वभर में कपास का उत्पादन बढ़ा

विश्वभर में कपास के उत्पादन में वृद्धि (cotton production growth) देखी जा रही है जिसके कारण कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2024 में 117.4 मिलियन गांठ का उत्पादन हो सकता है। नवंबर महीने में 1.2 मिलियन गांठ का इजाफा हुआ और इसमें भारत और अर्जेंटीना का अहम योगदान रहा है। भारत में 1 मिलियन गांठ का उत्पादन बढ़ा है जिससे देश का उत्पादन और अधिक बढ़ा है। इसके अलावा वियतनाम, पाकिस्तान और भारत में कपास की मांग में भी वृद्धि हुई है। इसी कारण से कपास की कीमतों पर दबाव बना हुआ है और आने वाली तिमाही में इसके $69.74 प्रति पाउंड रहने की उम्मीद जताई जा रही है।

अमेरिका में उत्पादन में वृद्धि

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अनुसार 2024-25 में कपास की खपत 313 लाख गांठ तक हो सकती है। CAI ने दिसंबर में अमेरिका में कपास के उत्पादन का अनुमान भी लगाया है जिसमें 14.3 मिलियन गांठ का उत्पादन होने का पूर्वानुमान है। पिछले महीने के मुकाबले इसमें 64,000 गांठ की वृद्धि देखी गई है। अमेरिका का उत्पादन बढ़ने से वैश्विक बाजार पर असर पड़ा है जिससे कपास की कीमतें दबाव में आई हैं।

ग्लोबल ई-टेक्सटाइल मार्केट की बढ़ती मांग

ई-टेक्सटाइल मार्केट में भी तेजी देखने को मिली है, जो 2030 तक $6.8 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। 2024 में इस मार्केट का कारोबार $2.5 बिलियन से भी ज्यादा हुआ जो 2019 के मुकाबले 19% की वृद्धि को दर्शाता है। ई-टेक्सटाइल उद्योग में तेजी से बदलाव आ रहा है जिससे कपास की मांग भी प्रभावित हो रही है।

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

स्पिनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रिपल पटेल का कहना है कि पिछले दो सालों से स्पिनर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि वे अपने नुकसान की भरपाई करेंगे। भारत में कपास की एकरेज यील्ड सालाना 450-475 किलो प्रति हेक्टेयर होती है जबकि ब्राजील में यह आंकड़ा 1800-1900 किलो प्रति हेक्टेयर है। ब्राजील का कपास उत्पादन इस वर्ष काफी बढ़ा है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा ने कहा कि अमेरिका में कपास के दाम 30-35 प्रतिशत गिर चुके हैं। वहां की कीमतें $102 से घटकर $69 पर आ गई हैं जबकि भारत में 62,000 रुपये से गिरकर 54,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सीसीआई (Cotton Corporation of India) 70% कपास MSP (Minimum Support Price) पर खरीद रहा है जिससे दामों में थोड़ी बढ़त देखने को मिली है। हालांकि भारत में जिनर्स और ट्रेडर्स के पास माल की कमी हो रही है जबकि स्पिनर्स के लिए मुनाफे का एक नया अवसर उत्पन्न हुआ है।

आने वाले समय में क्या उम्मीदें हैं?

अतुल गनात्रा ने आगे कहा कि 2025 में कपास के दामों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है क्योंकि दुनिया भर में कपास का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में कपास की कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है। हालांकि स्पिनर्स और व्यापारियों को मुनाफा हो सकता है खासकर जब सीसीआई द्वारा एमएसपी पर खरीदारी जारी रहेगी।

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