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किसान ने पराली प्रबंधन में खोजी नई राह, पर्यावरण संरक्षण में निभा रहे अहम भूमिका

धान की कटाई के बाद खेत में पड़ी पराली किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। किसान जल्दबाजी में रबी की फसल की तैयारी के लिए अक्सर खेत में पराली को जला देते हैं। पराली जलाने से पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। इसके अलावा, भूमि की उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ता है क्योंकि खेत में जलने से मित्र कीट और उपयोगी बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।

किसान ने खोजा पराली का बेहतर उपयोग
बालाघाट जिले के बोरगांव के किसान भूमेंद्र सिंह राहंगडाले ने इस समस्या का एक अनोखा समाधान खोजा है। उन्होंने “रोलर” नाम की मशीन खरीदी है जो धान की कटाई के बाद खेत में फैली पराली को इकट्ठा कर रोल (बेल) बनाने का काम करती है। यह मशीन उन्होंने सरकारी योजना के तहत 50% अनुदान पर खरीदी।

रोलर मशीन का काम कैसे करता है?
यह मशीन हार्वेस्टर से धान की कटाई के बाद खेत में बिखरी पराली को इकट्ठा करती है और उसे रोल का रूप देती है। भूमेंद्र सिंह के अनुसार, इस प्रक्रिया में हर एक रोल बनाने में मात्र 40 रुपए का खर्च आता है। इन रोल्स को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। पराली से बने ये रोल नर्म होते हैं और इनमें भरपूर मात्रा में फाइबर और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।

पराली जलाने की समस्या में आई कमी
रोलर मशीन के उपयोग से क्षेत्र में पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है। पहले जहां लगभग 25% किसान खेतों में पराली जलाते थे, अब यह संख्या घटकर 5% तक रह गई है। मशीन के जरिए पराली का उपयोग न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में भी मददगार है।

पराली के रोल का महत्व
भूमेंद्र सिंह ने बताया कि पराली के रोल गौशालाओं में चारे के रूप में दान किए जा रहे हैं। इसके बदले में गौशालाओं से गोबर खाद प्राप्त होती है जो भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है। इस तरह पराली के रोल किसानों के लिए आय का स्रोत बन गए हैं और पशुपालकों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।

किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है मशीन
भूमेंद्र सिंह की इस पहल ने अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। अब कई किसान अपनी पराली का प्रबंधन रोलर मशीन से कर रहे हैं। इससे चूहों के पनपने की समस्या और बायो डिकंपोजर के इस्तेमाल की लंबी प्रक्रिया से भी बचा जा सकता है।

पराली को जलाने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए यह मशीन एक आदर्श समाधान है। यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करती है और खेत की मिट्टी को भी पोषण प्रदान करती है।

पराली का यह अभिनव उपयोग न केवल किसानों की समस्या को सुलझाता है बल्कि पर्यावरण और पशुपालन के क्षेत्र में भी एक क्रांतिकारी बदलाव लाता है।

Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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