Sarso Bhav: किसानों के चेहरे पर दिखी खुशी, मंडियों में आने लगी नई सरसों, पहले दिन इतने रुपये प्रति क्विंटल बिकी

Sarso Bhav 2025: रबी सीजन की नई सरसों (Mustard) की आवक सोमवार को कृषि उपज मंडी में शुरू हो गई। हालांकि सरकार ने अब तक समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं, सरसों और चना खरीदने के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। ऐसे में किसानों को अपनी सरसों (Mustard) की फसल स्थानीय व्यापारियों (Local Traders) और मंडियों (Mandi) में ही बेचनी पड़ेगी।
गुढ़ा चक निवासी किसान मूलचंद मीना अपनी नई सरसों लेकर सबसे पहले मंडी पहुंचे। व्यापारियों के अनुसार, पहले दिन सरसों की बोली ₹5151 प्रति क्विंटल लगी। वर्तमान में मंडियों में सरसों की कीमत ₹5100 से ₹5600 प्रति क्विंटल के बीच चल रही है। किसानों को उम्मीद है कि सीजन के बढ़ते ही भाव में और भी तेजी आ सकती है।
Kal Ka Mousam: कल कैसा रहेगा मौसम? जानिए हरियाणा और देशभर का ताजा अपडेट
सरसों के मौसम की हुई मीठी शुरुआत
मंडी में नई फसल आने पर व्यापारियों और किसानों ने खास अंदाज में जश्न मनाया। “सरसों आई, मिठास आई!” के नारे के साथ व्यापारियों ने गुड़ बांटकर सभी का मुंह मीठा कराया।
यह मंडी की पुरानी परंपरा है जब भी सीजन में कोई नई फसल पहली बार आती है, तो व्यापारी और किसान एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। इसे शगुन का मीठा भी कहा जाता है ताकि पूरे सीजन में फसल के अच्छे दाम मिलें और किसानों को मुनाफा (Profit) हो।
सरसों की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी
इस बार जनवरी में तीन बार मावठ (Winter Rain) हुई जिससे सरसों और चने (Gram) की पैदावार शानदार रही। जिन खेतों में मावठ नहीं होती वहां एक बीघा में 8 मण सरसों होती थी लेकिन इस बार मावठ के कारण पैदावार 15 मण प्रति बीघा तक पहुंच गई।
किसानों के चेहरे की मुस्कान देखकर साफ है कि इस बार सरसों और चना की फसल ने सबकी जेब गर्म कर दी है। कम खर्च और कम पानी में तैयार होने वाली इन फसलों ने किसानों को बड़ी राहत दी है।
मंडियां रहेंगी गुलजार
इस बार रबी सीजन में गेहूं (Wheat), जौ (Barley), चना और सरसों की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। किसानों का कहना है कि खरीफ के मौसम में बाजरे और मूंगफली की कटाई के दौरान अच्छी बारिश हुई थी जिससे बिना सिंचाई वाले खेतों में भी चने और सरसों की अच्छी फसल तैयार हुई।
गेहूं की तुलना में चना और सरसों में पानी की जरूरत कम होती है यही कारण है कि इस बार इन दोनों फसलों की जबरदस्त बुवाई हुई। अब उम्मीद की जा रही है कि मंडियों में इनकी आवक भी बंपर होगी और किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।
किसान कर रहे हैं इंतजार
सरकार ने अब तक गेहूं, सरसों और चने की खरीद को लेकर कोई गाइडलाइन (Guideline) जारी नहीं की है जिससे किसानों में असमंजस बना हुआ है। जब तक सरकार समर्थन मूल्य (MSP) तय नहीं करेगी, तब तक किसानों को अपनी उपज मंडियों और व्यापारियों को ही बेचनी पड़ेगी। किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द सरसों और चने की खरीद को लेकर स्पष्ट नीति बनाए, ताकि उन्हें फसल के अच्छे दाम मिल सकें।