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सिरसा के किसान ने ठेके पर खेती कर पेश की मिसाल! आधुनिक खेती के जरिए बनाई सालाना 8 लाख की कमाई

राम स्वरूप चौहान ने शुरुआत में घर के खाली प्लॉट पर सब्जियां उगाना शुरू किया। धीरे-धीरे सब्जियों की खेती का अनुभव बढ़ने पर उन्होंने बड़े स्तर पर खेती करने का सोचा। खुद की जमीन न होने के कारण उन्होंने ठेके पर खेती का फैसला लिया।

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हरियाणा के सिरसा जिले के नाथुसरी कलां गांव के किसान राम स्वरूप चौहान ने ठेके पर खेती करते हुए एक नई मिसाल कायम की है। चार साल पहले उन्होंने 4 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर मौसमी सब्जियों की खेती शुरू की। अब उनकी सालाना कमाई 10 लाख रुपए तक पहुंच चुकी है। उनका यह कदम न केवल उनकी खुद की जिंदगी में बदलाव लाया है बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गया है।

मेहनत से मिली सफलता

राम स्वरूप चौहान ने शुरुआत में घर के खाली प्लॉट पर सब्जियां उगाना शुरू किया। धीरे-धीरे सब्जियों की खेती का अनुभव बढ़ने पर उन्होंने बड़े स्तर पर खेती करने का सोचा। खुद की जमीन न होने के कारण उन्होंने ठेके पर खेती का फैसला लिया। चार साल पहले 40,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन ठेके पर लेकर सब्जी की खेती शुरू की।

पहले ही साल उन्हें अच्छी कमाई हुई जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। अब वह तोरी, तरकाकड़ी, मूली, बैंगन, खरबूजा, तरबूज और घीया जैसी मौसमी सब्जियां उगाते हैं। उनके मेहनत और आधुनिक तरीकों की बदौलत प्रति एकड़ 2 लाख रुपए तक की कमाई हो रही है।

किसानों के लिए प्रेरणा बने राम स्वरूप

राम स्वरूप चौहान का मेहनत और नए प्रयोगों का जज्बा आसपास के गांवों के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। तरकांवाली, चोपटा और अन्य गांवों के किसान अब उनकी सब्जियों को पसंद करते हैं। उनकी इस पहल ने दिखा दिया है कि खेती केवल परंपरागत तरीकों से सीमित नहीं है।

सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना बड़ी चुनौती

राम स्वरूप चौहान ने बताया कि ठेके पर खेती करने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। ड्रिप सिंचाई के लिए अनुदान हो या डिग्गी बनाने की सब्सिडी, इन सुविधाओं से वह वंचित रह जाते हैं। इतना ही नहीं, प्राकृतिक आपदाओं से सब्जियों के खराब होने पर भी उन्हें मुआवजा नहीं मिलता। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया।

नजदीकी सब्जी मंडी की कमी से दिक्कत

राम स्वरूप चौहान के अनुसार, उनके क्षेत्र में सब्जी और फलों की मंडी न होने के कारण उन्हें दूर-दराज के बाजारों में सब्जियां बेचनी पड़ती हैं। इससे परिवहन लागत बढ़ जाती है और मुनाफा कम हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि चोपटा या आसपास के क्षेत्र में सब्जी मंडी स्थापित हो जाए तो न केवल उनकी बल्कि अन्य किसानों की भी आमदनी बढ़ सकती है।

आधुनिक तरीके से खेती का महत्व

राम स्वरूप चौहान की कहानी इस बात का उदाहरण है कि आधुनिक तरीके अपनाकर खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है। वह परंपरागत फसलों के साथ सब्जियों की खेती कर रहे हैं जिससे न केवल उनकी आय बढ़ी है बल्कि उनके परिवार का जीवन स्तर भी सुधरा है।

Satbir Singh

मेरा नाम सतबीर सिंह है और मैं हरियाणा के सिरसा जिले का रहने वाला हूँ. मैं पिछले 6 सालों से डिजिटल मीडिया पर राइटर के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे लोकल खबरें और ट्रेंडिंग खबरों को लिखने का 6 सालों का अनुभव है. अपने अनुभव और ज्ञान के चलते मैं सभी विषय पर लेखन कार्य कर सकता हूँ.

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