सिरसा में किसानों के लिए प्रेरणा बनी ससुर-बहू की जोड़ी, देसी कपास की खेती में किया कमाल
राजा राम ने अपने खेतों में देसी कपास की उन्नत किस्में विकसित की हैं जिनसे प्रति एकड़ 20-21 क्विंटल कपास का उत्पादन हो रहा है। यह पारंपरिक उपज की तुलना में कहीं अधिक है।
हरियाणा के सिरसा जिले के शाहपुर बेगू गांव में एक ससुर-बहू की जोड़ी ने देसी कपास की खेती में एक अनोखी मिसाल कायम की है। ऐसे समय में जब उत्तर भारत में कपास की खेती घटते क्षेत्रफल, कीटों के हमले और जलवायु संकट जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है 68 वर्षीय किसान राजा राम और उनकी बहू मंजू रानी ने देसी कपास के उत्पादन को नई दिशा दी है। उनके प्रयासों ने उच्च उपज के साथ-साथ किसानों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल प्रस्तुत किया है।
देसी कपास की खेती में नया नवाचार
राजा राम ने अपने खेतों में देसी कपास की उन्नत किस्में विकसित की हैं जिनसे प्रति एकड़ 20-21 क्विंटल कपास का उत्पादन हो रहा है। यह पारंपरिक उपज की तुलना में कहीं अधिक है। इन किस्मों को जलवायु की अनिश्चितताओं और कीटों के हमले का सामना करने में भी सक्षम बनाया गया है।
राजा राम का कहना है कि सही तकनीक और समय पर कीट प्रबंधन से यह सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने हिसार कृषि विश्वविद्यालय और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च (CICR) के सहयोग से कपास की उन्नत किस्मों पर काम किया। उनके द्वारा विकसित किए गए हाइब्रिड बीज अब पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों में लोकप्रिय हो रहे हैं।
उत्पादन के साथ आय में वृद्धि
राजा राम और उनकी बहू ने चार एकड़ की खेती से शुरुआत की थी जो अब छह एकड़ तक बढ़ गई है। इनकी देसी कपास की किस्में प्रति एकड़ 3 लाख रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ दे रही हैं। कपास की कटाई से प्राप्त बीजों की बिक्री ने उनकी आय में और इजाफा किया है। प्रति क्विंटल कपास से लगभग 33 किलो लिंट और 65-66 किलो बीज प्राप्त होता है। इसका उपयोग सर्जिकल कॉटन और डेनिम निर्माण में होता है।
प्रेरणा के साथ महिलाओं को दिया रोजगार
राजा राम और मंजू रानी के प्रयासों से न केवल उनकी अपनी आय बढ़ी है बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार मिला है। उनके खेतों में कटाई के दौरान प्रति एकड़ 25 महिलाओं को रोजगार मिलता है। मंजू ने बताया कि उन्होंने CICR के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से हाइब्रिड बीज उत्पादन की तकनीक सीखी है और कई अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित किया है।
नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन
मंजू रानी ने बताया कि उनके ससुर ने उन्हें इस प्रक्रिया से अवगत कराया और आधुनिक कृषि पद्धतियों की जानकारी दी। उनके अनुभव और मार्गदर्शन से मंजू ने खुद को इस क्षेत्र में स्थापित किया और 2020-21 में ICAR से प्रशंसा पुरस्कार भी प्राप्त किया।
किसानों के लिए संदेश
राजा राम का कहना है कि किसानों को आत्मनिर्भर बनने और अपनी समस्याओं के समाधान खोजने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि नवीन तकनीकों और सही बीज प्रबंधन के साथ छोटे किसान भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। उनके अनुसार देसी कपास की किस्में न केवल टिकाऊ होती हैं बल्कि बेहतर उत्पादन भी देती हैं। उनकी यह पहल उत्तरी भारत में कपास की खेती के लिए एक नई दिशा प्रदान कर रही है।