नए साल पर भारतीय किसानों पर बढ़ेगा खाद का खर्च, डीएपी समेत अन्य उर्वरकों की कीमतों में होगा बड़ा उछाल
डीएपी उर्वरक की कीमतों में करीब 240 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि की गई है। अब यह 1,350 रुपये के बजाय 1,590 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बोरी में उपलब्ध होगा। यह वृद्धि लगभग 12-15% की है। डीएपी के दाम बढ़ने का मुख्य कारण कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी है।
DAP Fertilizer Price, नई दिल्ली: जनवरी 2025 से किसानों के लिए उर्वरकों की कीमतों में इजाफा होने जा रहा है। खासतौर पर डीएपी (Di-ammonium Phosphate) और अन्य उर्वरकों के दाम बढ़ने से खेती की लागत पर असर पड़ेगा। केंद्र सरकार ने यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए लिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब देश के किसान पहले से ही बढ़ती उत्पादन लागत और मौसम की अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि सब्सिडी जारी रखते हुए कीमतों में इस वृद्धि को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है।
डीएपी के दाम में 240 रुपये की बढ़ोतरी
डीएपी उर्वरक की कीमतों में करीब 240 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि की गई है। अब यह 1,350 रुपये के बजाय 1,590 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बोरी में उपलब्ध होगा। यह वृद्धि लगभग 12-15% की है। डीएपी के दाम बढ़ने का मुख्य कारण कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी है। यूरिया के बाद डीएपी देश में दूसरा सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला उर्वरक है। ऐसे में इस वृद्धि से किसानों की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे उनकी आय पर असर पड़ सकता है।
सरकार का सब्सिडी का निर्णय
यूरिया पर किसानों को भारी सब्सिडी का लाभ जारी रहेगा। 45 किलोग्राम की यूरिया की बोरी पर सरकार 1,969.87 रुपये की सब्सिडी दे रही है जिससे किसान इसे 266.50 रुपये में खरीद सकते हैं। यूरिया की वास्तविक कीमत 2,236.37 रुपये है। यह सब्सिडी किसानों की उत्पादन लागत को कम करने में मदद करती है। हालांकि अन्य उर्वरकों पर बढ़ती कीमतें किसानों की आय और खेती के मुनाफे को प्रभावित कर सकती हैं।
अन्य उर्वरकों की कीमतों में भी होगी बढ़ोतरी
डीएपी के साथ-साथ एनपीके (10-26-26 और 12-32-16) और टीएसपी (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) जैसे उर्वरकों की कीमतें भी बढ़ाई गई हैं। एनपीके उर्वरकों की 50 किलो की बोरी में 255 रुपये का इजाफा हुआ है जिससे इसकी कीमत 1,725 रुपये हो गई है। टीएसपी की कीमत में 50 रुपये की वृद्धि की गई है जिससे यह 1,350 रुपये प्रति बोरी पर बिकेगी।
डीएपी की उपलब्धता पर संकट
चालू रबी सीजन में डीएपी की कमी ने किसानों को परेशान किया है। इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजार में डीएपी के कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और आयात में गिरावट है। चीन जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ता से आयात में कमी, भू-राजनीतिक तनाव और परिवहन की समस्याओं ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। भारत डीएपी की खपत का लगभग 60% आयात पर निर्भर करता है। इसके उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे माल जैसे फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट भी विदेशों से आयात किए जाते हैं।
फर्टिलाइजर उद्योग का रुख
फर्टिलाइजर उद्योग ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग और पोषक तत्व आधारित मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है। इससे किसानों को उर्वरकों का कुशलता से उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। साथ ही अन्य उर्वरकों जैसे एनपीके और एमओपी की मांग बढ़ाने के लिए भी यह कदम उपयोगी साबित हो सकता है।
उर्वरक शेयरों में तेजी
डीएपी की कीमतों में वृद्धि की घोषणा के बाद उर्वरक कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है। NFL, RCF, FACT और अन्य कंपनियों के शेयरों में 4-5% का उछाल देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण कंपनियों को लाभ होगा।