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देरी से बुवाई पर भी फिल्टर फाड़ उत्पादन देगी सरसों की यह नई वेराइटी, पड़ोसी किसान पूछेगा अच्छी फसल का राज

वैज्ञानिकों ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में विकसित की हैं जो कम समय में अधिक उत्पादन दे सकती हैं। इन किस्मों को विशेष रूप से लेट बुवाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भारत में सरसों की खेती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरसों का तेल और इसके बीज न केवल घरेलू उपयोग में बल्कि बाजार में भी बड़ी मांग रखते हैं। खासतौर पर तिलहनी फसलों के बीच सरसों को अनमोल माना जाता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ नई किस्में विकसित की हैं जो किसानों को लेट बुवाई की स्थिति में भी बेहतरीन उत्पादन दे सकती हैं। यह खबर उन किसानों के लिए राहत की सांस लेकर आई है जो मौसम की अनिश्चितताओं के कारण समय पर बुवाई नहीं कर पाते।

लेट बुवाई के लिए सरसों की नई किस्में

वैज्ञानिकों ने सरसों की कुछ ऐसी किस्में विकसित की हैं जो कम समय में अधिक उत्पादन दे सकती हैं। इन किस्मों को विशेष रूप से लेट बुवाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Varieties of mustard

सरसों की प्रमुख किस्में

  1. DMH-1:
    यह हाइब्रिड किस्म उच्च उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है। इसे लेट बुवाई की स्थिति में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
  2. NRCHB-506:
    ठंडे मौसम में यह किस्म बेहतरीन प्रदर्शन करती है। इसकी खेती से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं।
  3. कांति (Kranti):
    सामान्य परिस्थितियों में यह किस्म बेहतर उत्पादन देती है। हालांकि, लेट बुवाई के लिए यह उपयुक्त नहीं मानी जाती।

सरसों की खेती के मुख्य लाभ

सरसों की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है। इसकी कई विशेषताएँ इसे लोकप्रिय बनाती हैं।

1. जलवायु अनुकूलता

सरसों विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है। चाहे सूखा क्षेत्र हो या ठंडी जलवायु, यह फसल हर जगह सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है।

2. आर्थिक लाभ

सरसों का तेल और बीज बाजार में ऊँचे दाम पर बिकते हैं। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।

3. पोषण मूल्य

सरसों के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।

खेती के लिए जरूरी तकनीकें

सरसों की खेती में सही तकनीक अपनाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

1. बुवाई का सही समय

सरसों की बुवाई के लिए अक्टूबर का पहला सप्ताह सबसे बेहतर होता है। यदि किसान समय पर बुवाई नहीं कर पाते, तो नवंबर के पहले सप्ताह तक लेट बुवाई की जा सकती है।

2. खाद और उर्वरक का सही उपयोग

सरसों की खेती के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का सही मात्रा में उपयोग आवश्यक है।

3. सिंचाई का प्रबंधन

सरसों को फूलने और फलने की अवस्था में पर्याप्त पानी देना चाहिए। इससे पैदावार बेहतर होती है।

सरसों की खेती में नई किस्मों का महत्व

सरसों की नई किस्में किसानों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। लेट बुवाई के बावजूद अधिक पैदावार और अच्छी गुणवत्ता प्राप्त करने में ये मददगार होंगी। DMH-1 और NRCHB-506 जैसी किस्में खेती के क्षेत्र में नई संभावनाएँ पैदा कर रही हैं।

लेट बुवाई किसानों के लिए कैसे फायदेमंद?

लेट बुवाई के कारण किसान मौसम की अनिश्चितताओं से बच सकते हैं। साथ ही, वे अपने खेतों में अन्य फसलों की कटाई के बाद सरसों की खेती शुरू कर सकते हैं। नई किस्मों की वजह से उत्पादन में कोई कमी नहीं होती, जिससे किसानों की आय स्थिर रहती है।

सरसों की खेती के लिए सरकारी योजनाएँ

केंद्र और राज्य सरकारें सरसों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। किसानों को उन्नत बीज, सब्सिडी और कृषि तकनीकों की जानकारी दी जा रही है।

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Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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