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पराली जलाने में इस राज्य ने पंजाब-हरियाणा को भी छोड़ा पीछे, जानिए किस प्रदेश में कितने मामले?

राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पंजीकृत किसानों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ देने का वादा किया है। साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।

हरियाणा में पराली जलाने के मामलों पर सख्ती और जागरूकता अभियान ने असर दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद राज्य में 1 लाख 75 हजार 400 किसानों ने पराली निस्तारण के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। 15 लाख 20 हजार एकड़ में फसल अवशेष प्रबंधन की योजना है। इसमें 8 लाख 46 हजार एकड़ में इन-सीटू (खेत में पराली प्रबंधन) और 6 लाख 75 हजार एकड़ में एक्स-सीटू (खेत से बाहर पराली निस्तारण) शामिल है।

राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पंजीकृत किसानों को 1,000 रुपये प्रति एकड़ देने का वादा किया है। साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। अब तक 550 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है और 689 किसानों के चालान काटे गए हैं।

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पराली जलाने में मध्य प्रदेश सबसे आगे

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की रिपोर्ट बताती है कि 15 सितंबर से 25 नवंबर तक उत्तर भारत में 34,914 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए। इनमें से सबसे ज्यादा 15,019 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज हुए।

  • उत्तर प्रदेश: 5,103 मामले
  • पंजाब: 10,749 मामले
  • हरियाणा: 1,341 मामले
  • राजस्थान: 2,690 मामले
  • दिल्ली: सिर्फ 12 मामले

मध्य प्रदेश में पंजाब से 44% कम धान की खेती होने के बावजूद पराली जलाने के मामले 30% अधिक हैं। वहीं, हरियाणा की तुलना में यह आंकड़ा 91% ज्यादा है।

हरियाणा और पंजाब में बड़ी कमी, बाकी राज्यों में बढ़ोतरी

पिछले पांच वर्षों में पंजाब ने पराली जलाने के मामलों में 87% की कमी हासिल की है, जबकि हरियाणा ने 67% तक कमी दर्ज की है। इसके विपरीत, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फसली अवशेष जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है:

  • राजस्थान: 38% बढ़ोतरी
  • उत्तर प्रदेश: 24% बढ़ोतरी
  • मध्य प्रदेश: 8% बढ़ोतरी

पराली प्रबंधन में उद्योगों की भूमिका बढ़ी

हरियाणा में 14 उद्योगों ने किसानों से पराली मांगना शुरू किया है। ये उद्योग पराली को ईंधन और अन्य उत्पादों के रूप में उपयोग कर रहे हैं। राज्य सरकार भी किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर रही है।सरकार की योजना के अनुसार, जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही, जागरूकता अभियानों के जरिए यह संदेश फैलाया जा रहा है कि पराली जलाने से पर्यावरण और सेहत को गंभीर नुकसान होता है।

उत्तर भारत में पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण

पंजाब और हरियाणा को पराली जलाने के मामलों में अक्सर दोषी ठहराया जाता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इस साल सबसे ज्यादा पराली जलाने वाले स्थान मध्य प्रदेश में हैं। 26 नवंबर तक पूरे उत्तर भारत में 34,914 स्थानों पर पराली जलाई गई। वायु प्रदूषण का स्तर दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसके बावजूद, पराली जलाने की घटनाएं जारी हैं। सरकार और किसानों के बीच तालमेल से ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।

किसानों के लिए प्रोत्साहन और सख्ती दोनों जरूरी

हरियाणा सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए कई उपाय सुझाए हैं। इनमें सरकारी सहायता, सब्सिडी पर उपकरण और जागरूकता अभियान शामिल हैं। पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा रही है। पंजाब की तरह हरियाणा भी पराली प्रबंधन में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण की चुनौती और गंभीर हो जाती है।

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