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Haryana Tomato : हरियाणा के इस टमाटर की विदेशों तक धूम, रिलायंस जैसी कंपनियों ने बढ़ाई डिमांड

हरियाणा के करनाल जिले का छोटा सा गांव पधाना आजकल बड़ी-बड़ी सुर्खियों में छाया हुआ है। वजह है यहां की टमाटर की खेती जिसने देश ही नहीं विदेशों तक अपनी अलग पहचान बनाई है। यहां के किसानों ने अपने टमाटर के दम पर कुछ ऐसा कर दिखाया है कि रिलायंस जैसी कंपनियां भी इनके खेतों तक पहुंचने लगी हैं।

हरियाणा का पधाना गांव अब केवल एक गांव नहीं रहा बल्कि ये टमाटर का हॉटस्पॉट (hotspot) बन चुका है। इस गांव में करीब 3 हजार एकड़ जमीन है जिसमें से आधे रकबे पर सिर्फ टमाटर की खेती होती है। किसानों का कहना है कि पहले यहां बेड (bed) पर टमाटर उगाए जाते थे लेकिन अब बेल वाले टमाटर का चलन शुरू हो गया है। बेल वाले टमाटर की खासियत यह है कि एक एकड़ से 2 हजार क्रेट (crate) तक टमाटर निकल आते हैं।

भाई एक क्रेट में 25 किलो टमाटर आता है। अगर आप इसे सीधे हिसाब से देखें तो 50 हजार किलो टमाटर एक एकड़ में तैयार हो जाते हैं। और अगर बाजार में भाव अच्छा मिल गया तो क्या ही कहने!

गांव में बन गई अपनी मंडी

पधाना के किसानों को अब टमाटर बेचने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता। गांव में ही एक बड़ी मंडी (market) है जहां दिल्ली यूपी और पंजाब जैसे राज्यों से व्यापारी खरीदारी करने आते हैं। और तो और रिलायंस जैसी कंपनियां खेतों तक आकर टमाटर उठाकर ले जाती हैं।

गांव के कुछ किसानों का तो पिछले 15 सालों से रिलायंस के साथ कॉन्ट्रैक्ट (contract) है। वे सीधे खेतों से टमाटर उठाते हैं और किसानों को अच्छा खासा पैसा देते हैं। यही वजह है कि पधाना के किसान अब टमाटर के “ब्रांड एंबेसडर” बन चुके हैं।

पाकिस्तान में भी पधाना के टमाटर की मांग

अब भले ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कभी-कभी खट्टे-मीठे (sweet-sour) रहते हों लेकिन पधाना का टमाटर इन रिश्तों को “लाल-लाल” बनाए रखने में अपना योगदान दे रहा है। पाकिस्तान में भी इस गांव से टमाटर की सप्लाई हो रही है। वहां के व्यापारी इसे बड़े चाव से खरीदते हैं। भाई ऐसा लग रहा है कि पधाना का टमाटर अब डिप्लोमेसी (diplomacy) का नया जरिया बन सकता है।

कम लागत हो रहा ज्यादा मुनाफा

किसानों का कहना है कि टमाटर की खेती में लागत काफी कम है लेकिन मुनाफा जबरदस्त है। एक एकड़ टमाटर की खेती पर शुरुआत में करीब 1 लाख रुपये खर्च आता है। अगर कोई पहले से ही बेल वाले टमाटर उगा रहा है तो उसका खर्च घटकर 50 हजार रुपये रह जाता है।

अब सोचिए अगर एक एकड़ में ढाई लाख से 3 लाख रुपये का टमाटर बिकता है तो ये तो सीधा “मुनाफे का सौदा” हुआ। और अगर बाजार में टमाटर के दाम 500-600 रुपये प्रति क्रेट हो गए तो भाईसाहब किसान करोड़पति बनने से बस एक-दो सीजन दूर हैं।

खेतों से सीधे रोजगार

पधाना के खेत न केवल टमाटर उगा रहे हैं बल्कि रोजगार भी पैदा कर रहे हैं। यहां के खेतों में हर वक्त मजदूरों की जरूरत रहती है। गांव की गरीब महिलाएं और पुरुष इन खेतों में काम कर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं।

गांव के किसानों का कहना है कि टमाटर की खेती से पूरे साल रोजगार बना रहता है। महिलाएं टमाटर की बेलों की देखभाल करती हैं वहीं पुरुष पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन (transportation) का जिम्मा संभालते हैं।

सरकार की प्रोत्साहन योजना का फायदा

हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन योजना (incentive scheme) ने इस गांव के किसानों की जिंदगी बदल दी है। बागवानी विभाग ने बांस और तार लगाने पर किसानों को अनुदान (subsidy) दिया है। इससे टमाटर की खेती की लागत और कम हो गई है।

सरकार की इस नीति ने किसानों को परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी और ऑर्गेनिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है। आज पधाना इसका जीता-जागता उदाहरण है।

पधाना बना प्रेरणा का स्रोत

पधाना गांव न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। यहां के किसान बताते हैं कि कैसे उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर नए तरीके अपनाए और सफलता पाई।

भाई टमाटर का ऐसा जलवा शायद ही कहीं और देखने को मिले। यह गांव हरियाणा के बाकी किसानों के लिए भी मिसाल है कि मेहनत और सही योजना (planning) से कैसे बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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