Kisan Andolan: हरियाणा-पंजाब में किसानों का ट्रैक्टर मार्च, MSP समेत 13 मांगों पर शुरू हुआ जन आंदोलन
नई दिल्ली: आज हरियाणा और पंजाब में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP) समेत 13 प्रमुख मांगों को लेकर ट्रैक्टर मार्च शुरू किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में हो रहा है। किसानों का यह आंदोलन जिसे किसान आंदोलन 2.0 के रूप में देखा जा रहा है 13 फरवरी 2024 से शुरू हुआ था और अब तेज़ी पकड़ चुका है।अब जमीन बेचने और खरीदने पर बढ़ेगा टैक्स का झोल, जानिए सरकार ने क्यों लिया ऐसा फ़ैसला
किसानों ने घोषणा की थी कि आज दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे तक भाजपा नेताओं के घरों और मॉल्स के सामने ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इस दौरान धरने भी लगाए जाएंगे। हालांकि हरियाणा और पंजाब में यह मार्च निर्धारित समय से पहले ही शुरू हो गया और बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ सड़कों पर उतर आए।
MSP पर केंद्रित हैं किसान
किसानों का यह आंदोलन MSP लागू करने और किसान हित से जुड़ी अन्य 13 मांगों पर आधारित है। प्रदर्शन का केंद्र खनौरी और शंभू बॉर्डर हैं जहां हजारों किसान एकत्रित हुए हैं। खास बात यह है कि खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज 62वें दिन भी जारी है। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी मांगें पूरी होने तक यह अनशन जारी रहेगा।
चरखी दादरी की सर्वजातीय आठ गामा खाप पंचायत ने भी किसानों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। खाप नेताओं ने स्पष्ट किया कि वह किसानों की हर मांग को लागू करवाने के लिए तैयार हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों की 13 मांगों में प्रमुख तौर पर MSP को लागू करने किसान कर्ज माफी खेती की लागत कम करने और किसान विरोधी नीतियों को बंद करने की मांग शामिल है। इसके अलावा किसानों ने शुभकरण सिंह की मौत की सीबीआई (CBI) जांच की भी मांग की है। शुभकरण सिंह खनौरी बॉर्डर पर 21 फरवरी को दिल्ली कूच के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए थे।
शुभकरण सिंह की मौत का मामला अभी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। शुभकरण के परिवार ने न्याय के लिए CBI जांच की याचिका दाखिल की है।
सरकार और किसानों के बीच वार्ता विफल
केंद्र सरकार के मंत्रियों और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ किसानों की तीन बार बैठक हो चुकी है। ये बैठकें चंडीगढ़ में हुईं लेकिन किसी पर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया।
हालांकि दिल्ली कूच से पहले ही हरियाणा पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैरिकेड लगाकर किसानों को रोक दिया। इसके बाद किसानों ने बॉर्डर पर धरना शुरू कर दिया जिससे पंजाब और हरियाणा के बीच आवाजाही ठप हो गई।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
बॉर्डर पर लगे बैरिकेड के कारण मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। किसानों ने कोर्ट में कहा कि रास्ता उन्होंने नहीं बल्कि हरियाणा सरकार ने रोका है। 10 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बैरिकेड हटाने का आदेश दिया था।
इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किसानों से बातचीत के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया। लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।
किसानों का आक्रोश और बढ़ा
हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया है कि किसानों के पास मॉडिफाई किए गए ट्रैक्टर हैं जिससे माहौल बिगड़ सकता है। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि यह आरोप केवल आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगाए जा रहे हैं।8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों के लिए Good News, सैलरी में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी
संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज होगा। उनका कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) हर किसान का हक है और इसे लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है।