गेहूं के दामों ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, आटे के दाम भी छू रहे आसमान! जानिए आज के नए रेट
वर्तमान समय में गेहूं की कीमतें (wheat price) लगातार आसमान छू रही हैं जिससे आटे के दाम भी प्रभावित हुए हैं। गेहूं के बढ़ते दाम (Gehu ka bhav) अब घरेलू बजट पर भारी पड़ने लगे हैं और ऐसा अनुमान है कि अगले कुछ महीनों तक कीमतों में कोई बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिलेगी।
सरकार गेहूं के रेट को काबू में करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है मगर इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम अभी तक सामने नहीं आ सके हैं। जानिए इस आर्टिकल में देशभर के अलग-अलग राज्यों में गेहूं के भाव (wheat retail price) कितने हैं और इसके प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं।
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गेहूं की कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड
अभी के समय में गेहूं की कीमतों ने अपना एक नया रिकॉर्ड तोड़ दिया है और मंडियों (Wheat rate today) और खुले बाजार में गेहूं का खुदरा रेट अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और गोवा की मंडियों में गेहूं की अधिकतम थोक कीमत 5811 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है जो एमएसपी (MSP) से लगभग ढाई गुना अधिक है। इसी तरह से गेहूं की कीमत ने हर किलो के हिसाब से 59 रुपए तक का आंकड़ा छुआ है जो पहले कभी नहीं देखा गया।
उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रमुख राज्यों में गेहूं के दाम
भारत में गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश में गेहूं की औसत कीमत (Wheat Price in Uttar Pradesh) लगभग 30 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास चल रही है जबकि दिल्ली की मंडी में गेहूं की कीमत 33 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। वहीं, गुजरात और महाराष्ट्र में यह 35 से 40 रुपए के बीच बिक रहा है। गोवा में गेहूं की कीमत 51 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। इसी तरह मुंबई में गेहूं की अधिकतम कीमत 6010 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई, जो एमएसपी से लगभग 64 प्रतिशत अधिक है। इन परिस्थितियों में आटे की महंगाई में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
सरकार के पास पर्याप्त गेहूं का स्टॉक
केंद्र सरकार ने खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। सरकार द्वारा की गई नीतियों के तहत गेहूं का रिजर्व मूल्य 2325 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है और आगामी सीजन में 2300 रुपए प्रति क्विंटल के दर से ई-नीलामी के जरिए इसे निजी कंपनियों को बेचा जाएगा। सरकारी एजेंसियों के पास 31 अक्टूबर 2024 तक 222.64 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक है। हालांकि कुछ व्यापारी और किसान इस स्टॉक को अपर्याप्त मान रहे हैं।
आपूर्ति की समस्या के बीच व्यापारियों की चिंता
सरकार ने फिलहाल 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले बाजार में बिक्री के लिए जारी करने का फैसला लिया है ताकि गेहूं की कीमतों पर काबू पाया जा सके। इस बीच 197 लाख मीट्रिक टन गेहूं बफर स्टॉक में रहेगा। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि सरकार के पास गेहूं का स्टॉक पर्याप्त नहीं है और मांग-आपूर्ति की खाई को पाटा नहीं जा सकता। इससे यह भी जाहिर हो रहा है कि महंगाई की समस्या कुछ समय तक जारी रह सकती है।
इन राज्यों में बढ़ी हुई गेहूं कीमतों की सूची
विभिन्न राज्यों में गेहूं के दाम में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में गेहूं का औसत भाव 2899 रुपए प्रति क्विंटल है और उच्चतम कीमत 6010 रुपए प्रति क्विंटल तक जाती है। वहीं गुजरात में गेहूं का औसत भाव 2886 रुपए प्रति क्विंटल है और सबसे अधिक कीमत 3262 रुपए प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में गेहूं का औसत भाव 2749 रुपए प्रति क्विंटल है जबकि सबसे अधिक कीमत 2954 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में भी गेहूं की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची हैं जिनकी जानकारी इस रिपोर्ट में दी गई है।
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महंगे गेहूं के पीछे क्या है मुख्य कारण?
गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण सूखा, असमान मौसम और अधिक उपभोक्ता मांग जैसे कारक हैं। इन सभी ने मिलकर गेहूं की कीमतों को बढ़ाने में मदद की है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी महीनों में स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है अगर सरकार की नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया। गेहूं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि कई स्तरों पर रिफॉर्म्स की आवश्यकता हो सकती है खासकर किसानों को सही कीमत देने और उपभोक्ताओं के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने के लिए।