घरेलू बाजार में दिख रही महंगाई की मार, गेहूं की कीमतों ने पार किया उच्चतम स्तर, जानिए मंडियों में आज के भाव
महंगाई के इस दौर में जहां हर वस्तु के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं गेहूं की कीमतों (wheat prices) ने नए ऊंचाई के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
पिछले कुछ दिनों में गेहूं की कीमतें (wheat prices in India) अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी हैं जिसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ा है। गेहूं की बढ़ी हुई कीमतों (increased wheat prices) ने आम आदमी के बजट में खलल डाल दिया है जिससे अब आटा (wheat flour) और अन्य गेहूं से बने उत्पादों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं।
गेहूं की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों को किया परेशान, आटे के दाम भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे, जानिए कारण
केंद्र सरकार ने इस वृद्धि को नियंत्रित करने की कई योजनाएँ बनाई हैं लेकिन गेहूं के दाम (wheat cost increase) MSP से कहीं ऊपर जा चुके हैं जिससे बाज़ार में असंतुलन दिखाई दे रहा है। गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर को पार कर चुकी हैं जिनके कारण अनाज के दाम भी सामान्य नागरिक की पहुँच से बाहर होते जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारें गेहूं की आपूर्ति की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन बाजार में आ रही इन अनियंत्रित कीमतों ने समस्या और जटिल बना दी है।
महंगाई से बढ़ी जनता की परेशानी
गेहूं के दाम में वृद्धि से यह साफ हो गया है कि आटा (flour) और अन्य संबंधित खाद्य वस्तुओं के दाम में भी इजाफा हो रहा है। जिस आटे (wheat flour prices) के दाम को देखकर लोग पहले दिनचर्या में उपयोग करते थे अब वही आटा उनके बजट को भारी बना रहा है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सहित अन्य राज्यों में गेहूं की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। यूपी में गेहूं का रेट (wheat rate in UP) अब 2910 रुपये प्रति क्विंटल (per quintal) के आस-पास पहुंच चुका है जो की MSP रेट से लगभग 29 प्रतिशत अधिक है।
आम जनता के लिए इन दामों का बढ़ना कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं है क्योंकि गेहूं (wheat price rise) के रेट बढ़ने से रोजमर्रा की खाद्य वस्तुएं महंगी हो जाती हैं। उत्तर प्रदेश के प्रमुख मंडियों जैसे कि टूंडला, लखीमपुर और मुस्करा में गेहूं की कीमतें (wheat prices in markets) अपेक्षाकृत ऊँची पाई जा रही हैं। उदाहरण के तौर पर, टूंडला मंडी में गेहूं के रेट 2939 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच चुके हैं। यह बढ़ोतरी खासकर उन परिवारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है जिनकी दिनचर्या पूरी तरह गेहूं और आटे (wheat flour) पर निर्भर है।
रफ्तार से बढ़ते गेहूं के दाम
हर दिन गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं और किसान से लेकर उपभोक्ता तक सभी प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों द्वारा गेहूं के पर्याप्त स्टॉक का दावा किए जाने के बावजूद व्यापारी इसे कम मानते हैं। इसके कारण बाज़ार में कमी की स्थिति उत्पन्न हुई है जिससे गेहूं की कीमतें नियंत्रण से बाहर जा रही हैं।
सरकार ने इस विषय पर ध्यान देते हुए 25 लाख टन अतिरिक्त गेहूं ई-ऑप्शन के जरिए मार्केट में उतारने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का उद्देश्य गेहूं के दामों में कमी लाना है ताकि आम जनता को राहत मिल सके। हालांकि इस बात का अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल पाया है कि गेहूं की कीमतें जल्द ही कम होंगी या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा (food security) और किसानों की बेहतरी के लिए इस मुद्दे पर लंबे समय तक ध्यान देने की आवश्यकता है।
अन्य मंडियों में गेहूं के भाव
देशभर में गेहूं की कीमतों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। भिन्न-भिन्न मंडियों में गेहूं के न्यूनतम और अधिकतम मूल्य में फर्क आ गया है।
मंडी न्यूनतम मूल्य अधिकतम मूल्य
भरुआसुमेरपुर ₹2,970 ₹2,980
मुस्करा मंडी ₹3,100 ₹3,100
लखीमपुर मंडी ₹2,940 ₹2,950
तिकुनिया मंडी ₹2,600 ₹2,600
बांगरमऊ मंडी ₹3,010 ₹3,090
जालौन मंडी ₹2,986 ₹2,986
अतर्रा एपीएमसी ₹2,800 ₹2,800
पवैया मंडी ₹2,900 ₹2,900
टूंडला मंडी ₹3,120 ₹2,939
इस रफ्तार से बढ़ती कीमतें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं।
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क्यों है इसकी वजह?
भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों के पास गेहूं का बंपर स्टॉक होने का दावा है लेकिन व्यापारियों का मानना है कि इन एजेंसियों के पास जितनी खेप है वह बाज़ार के अनुरूप नहीं है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक FCI के पास लगभग 222 लाख टन गेहूं का भंडारण है जो की पर्याप्त मान जाता है। वहीं, जिन किसानों का गेहूं इस स्टॉक में शामिल नहीं है उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
सरकार ने बढ़े हुए गेहूं के दामों को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त 25 लाख टन गेहूं बाजार में उतारने का फैसला किया है। इससे गेहूं के दामों में कुछ राहत मिल सकती है लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। समय के साथ यह देखने की बात होगी कि क्या ये कदम बढ़े हुए दामों को नियंत्रण में ला पाते हैं या नहीं।