सिरसा जिले में बीजेपी को लगा बड़ा झटका, कंवरजीत सिंह चहल सहित कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी, गोकुल सेतिया को दे सकतें है समर्थन
सिरसा जिले में बीजेपी को विधानसभा चुनाव के बीच बड़ा झटका लगा है। पार्टी के जिला सचिव कंवरजीत सिंह चहल और कई अन्य नेताओं ने 22 सितंबर 2024 को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। यह खबर पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है खासकर चुनाव के नजदीक आने के समय। इन नेताओं ने अपने इस्तीफे का कारण पार्टी के अंदरूनी मामलों और व्यक्तिगत कारणों को बताया है।
बीजेपी के नेताओं का इस्तीफा
कंवरजीत सिंह चहल के साथ ही कई और बड़े नेता जैसे बड़ागुढ़ा मंडल महामंत्री और पूर्व वाइस चेयरमैन सरदार बलकौर सिंह चहल पूर्व सरपंच अनूप सहरावत खजान चंद नंबरदार राजकरण सिंह एडवोकेट भूपेंद्र सिंह दोदर हरबंस लाल कंबोज महेंद्रपाल कंबोज और जगतार सिंह बराड़ ने भी बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इन नेताओं ने कहा है कि वे आगे की राजनीति का निर्णय अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करके करेंगे।
पार्टी छोड़ने के पीछे कारण
कंवरजीत सिंह चहल ने कहा कि बीजेपी अब पहले जैसी पार्टी नहीं रही है। उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष को भेजे गए अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला देते हुए पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। कंवरजीत सिंह चहल ने रानियां विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के लिए आवेदन भी किया था। उनका गांव मल्लेवाला रानियां हलके में आता है और वे 2019 के चुनाव में ऐलनाबाद हलके के प्रभारी रह चुके हैं।
कंवरजीत सिंह चहल की राजनीतिक
कंवरजीत सिंह चहल भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने 2016 से 2019 तक इस पद पर काम किया। इसके अलावा वे पंचायत समिति के सदस्य भी रह चुके हैं और जिला परिषद का चुनाव लड़ चुके हैं। बार एसोसिएशन के सदस्य के रूप में भी उनका अच्छा अनुभव है। वे भाजपा किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। उनके इस्तीफे से पार्टी को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वे पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे और संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
पार्टी छोड़ने का असर
इन इस्तीफों के बाद सिरसा जिले में बीजेपी के लिए चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। चुनाव से कुछ ही समय पहले इतने बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना बीजेपी के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। खासकर तब जब चुनाव प्रचार जोरों पर है और पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की जरूरत है। इस्तीफा देने वाले नेताओं ने कहा है कि वे अब अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर भविष्य की रणनीति पर विचार करेंगे। इस बात की संभावना है कि ये नेता किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं या अपनी नई रणनीति बना सकते हैं।