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पारंपरिक खेती से हटकर किसान ने शुरू की सब्जियों की खेती, कम समय में बन गया मालामाल

धान और गेहूं की खेती छोड़कर कद्दू की खेती शुरू की है जिससे वे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उनका यह कदम कई किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहा है।
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Pumpkin cultivation
Pumpkin cultivation

खेती के क्षेत्र में बदलाव की हवा अब किसानों तक पहुंच चुकी है। पहले जहां पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं पर ही ज्यादातर किसान निर्भर रहते थे अब वो नए और लाभकारी विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। खासकर सब्जियों की खेती जिसमें लौकी, कद्दू, खीरा, झींगा, टमाटर और फूलगोभी जैसी सब्जियाँ शामिल हैं। इस तरह की खेती ने किसानों के सामने एक नया रास्ता खोल दिया है जिससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है।

अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के किसान नुरूल हक ने धान और गेहूं की खेती छोड़कर कद्दू की खेती शुरू की है जिससे वे कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उनका यह कदम कई किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहा है।

कद्दू की खेती का बाजार

कद्दू एक ऐसी फसल है जिसकी मांग साल भर बनी रहती है। खासकर गर्मियों और बारिश के सीजन में इसकी कीमतें और भी बढ़ जाती हैं। किसान नुरूल हक बताते हैं कि एक एकड़ जमीन पर कद्दू की खेती से वे लगभग एक लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं। इस मुनाफे का मुख्य कारण बाजार में कद्दू की लगातार बनी रहने वाली डिमांड है जो किसान को अच्छा भाव दिलाती है।

खेती करने की प्रक्रिया

कद्दू की खेती करना बेहद आसान है और इसे कम मेहनत में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। नुरूल हक बताते हैं कि कद्दू की खेती के लिए खेत की 2-3 बार जुताई करनी होती है और उसके बाद इसे समतल कर बीज लगाए जाते हैं। बीज लगाने के लगभग 50 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है। इसका मतलब है कि किसानों को अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ता और वे जल्दी ही मुनाफा कमाने की स्थिति में आ जाते हैं।

एक बीघे में कद्दू की खेती पर लगभग 8 से 10 हजार रुपये की लागत आती है। इस लागत में खेत की जुताई बीज सिंचाई और खाद की लागत शामिल है। लेकिन जब फसल पूरी तरह तैयार होती है तो यह लागत एक लाख रुपये तक के मुनाफे में बदल जाती है। अगर बाजार भाव अच्छा हो तो मुनाफा और भी बढ़ सकता है।

कद्दू की खेती के लाभ

कद्दू की खेती के कई फायदे हैं जिनमें से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे कम समय और कम लागत में उगाया जा सकता है। किसान नुरूल हक का अनुभव बताता है कि परंपरागत फसलों की तुलना में कद्दू की खेती में किसानों को अधिक जोखिम नहीं उठाना पड़ता। इसके साथ ही फसल जल्दी तैयार होती है जिससे किसान अपनी अन्य फसलों पर भी ध्यान दे सकते हैं।

नुरूल हक ने बताया कि जब उन्होंने कद्दू की खेती शुरू की तो उनके पास बहुत अधिक अनुभव नहीं था। लेकिन कुछ ही समय में उन्होंने महसूस किया कि यह फसल उनकी उम्मीदों से कहीं अधिक लाभकारी है। कद्दू की खेती में किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती जिससे छोटे किसान भी आसानी से इसे अपना सकते हैं।

कद्दू की खेती से कैसे हो रही है आमदनी में बढ़ोतरी?

किसान नुरूल हक ने धान और गेहूं की खेती को छोड़कर कद्दू की खेती करने का निर्णय लिया और अब वे एक एकड़ जमीन से एक लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं। यह मुनाफा केवल कद्दू की फसल के बाजार मूल्य पर निर्भर नहीं करता बल्कि इसकी खेती की प्रक्रिया और समय पर भी निर्भर करता है। फसल तैयार होने के बाद किसान इसे स्थानीय बाजारों में बेचते हैं जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है।

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