किसान अब नवंबर तक कर सकेंगे इस सरसों की बुवाई, कीटों की सुरक्षा के साथ मिलेगा अधिक तेल
New Variety of Mustard : सरसों की समय पर बुवाई न होने पर किसानों को अक्सर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। हालांकि अब इस समस्या का समाधान मिल गया है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA VV) के वैज्ञानिकों ने एक नई सरसों की प्रजाति 'गोवर्धन' विकसित की है जो नवंबर के आखिरी सप्ताह तक बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह नई प्रजाति किसानों की कई समस्याओं का समाधान करती है और उनके लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandrashekhar Azad University of Agriculture and Technology) के कृषि वैज्ञानिकों ने 11 वर्षों की कठिन मेहनत और शोध के बाद सरसों की इस नई प्रजाति 'गोवर्धन' को तैयार किया है। इस प्रजाति की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे नवंबर के अंत तक बुवाई की जा सकती है जबकि पारंपरिक सरसों की बुवाई का सही समय अगस्त-सितंबर में होता है। इस प्रजाति को तैयार करते समय वैज्ञानिकों ने किसानों की छोटी-छोटी समस्याओं को ध्यान में रखा जिससे यह प्रजाति विशेष रूप से उनके लिए उपयुक्त बन पाई है।
'गोवर्धन' प्रजाति की विशेषता इसकी तेल की मात्रा है। इसमें 39% तेल होता है जो किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी साबित होगा। यह प्रजाति 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है जिससे किसानों को त्वरित फसल मिलती है। गन्ना कटाई के बाद नवंबर में किसानों के खेत आमतौर पर खाली हो जाते हैं और उस समय सरसों की बुवाई करना कठिन हो जाता है। लेकिन अब 'गोवर्धन' प्रजाति की मदद से गन्ना किसानों के खेतों में भी फसल उगाई जा सकेगी जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी का लाभ मिलेगा।
सरसों की खेती में माहु कीट एक प्रमुख समस्या होती हैजो फसल की पैदावार को प्रभावित करती है। 'गोवर्धन' प्रजाति को इस समस्या का समाधान प्रदान करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस प्रजाति की बुवाई नवंबर के अंत में की जाएगी जब माहु कीट का खतरा कम हो जाता है। इससे किसानों को कीटों से होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलेगा और उनकी फसल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार होगा।
हाल ही में लखनऊ में स्टेट वैरायटी कमेटी द्वारा 'गोवर्धन' प्रजाति को अनुमोदन मिल गया है। अब इस प्रजाति के नोटिफिकेशन के लिए कृषि मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। नोटिफिकेशन होने के बाद सीएसए विवि के वैज्ञानिक किसानों को इस प्रजाति के बीज उपलब्ध करवाना शुरू कर देंगे। देशभर के किसानों को इस नई प्रजाति के बीज उपलब्ध करवाने की तैयारियाँ चल रही हैं।
'गोवर्धन' प्रजाति की खेती से किसानों के लिए कई संभावनाएँ खुल रही हैं। यह प्रजाति न केवल बुवाई की अवधि को बढ़ाती है बल्कि फसल की गुणवत्ता और तेल की मात्रा में भी सुधार करती है। गन्ना किसानों के लिए यह एक विशेष लाभकारी साबित होगी क्योंकि उनकी फसल कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं और इस नई प्रजाति से वे उस समय का उपयोग करके अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।