हरियाणा अफसरशाही में मचा हड़कंप, खट्टर कैबिनेट के फर्जी लेटर से 500 करोड़ की जमीन हथियाने का पर्दाफाश, जानें
Trends Of Discover, चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की कैबिनेट की कथित बैठक के आधार पर तैयार किए गए एक फर्जी पत्र से गुरुग्राम में 500 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने की कोशिशों का खुलासा हुआ है (Land Scam in haryana)। इस घोटाले में हरियाणा सचिवालय, राजस्व विभाग, गुरुग्राम और पंचकुला के अधिकारियों को शामिल माना गया था। लेकिन इससे पहले कि अधिकारी और प्रॉपर्टी डीलर अपने मंसूबों में कामयाब हो पाते, गोलमाल पकड़ लिया गया.
पंचकुला में केस दर्ज करने के आदेश दिए गए
इस पर मुख्य सचिव ने कड़ा संज्ञान लेते हुए भूमि अभिलेख निदेशक (डीएलआर) को पंचकुला में मामला दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
गुरुग्राम में दो और रोहतक व सोनीपत में एक-एक मामले में फर्जी पत्र के आधार पर जमीन छुड़ाने का प्रयास किया गया है। पत्र में कैबिनेट शाखा के अधीक्षक का हस्ताक्षर भी फर्जी था. मामले में पुलिस ने सचिवालय के तीन कर्मचारियों से पूछताछ की, जिससे पता चला कि किसने पूरे घोटाले को अंजाम देने की कोशिश की थी.
कई अधिकारियों और कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया गया
पुलिस ने कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को हिरासत में लिया है और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है. हरियाणा पुलिस अब पंचकुला, सोनीपत, रोहतक और गुरुग्राम के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ प्रॉपर्टी डीलरों को भी गिरफ्तार करने जा रही है. मामले में गुरुग्राम के अलावा पंचकुला के एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
नौकरशाही में जबरदस्त खलबली मच गई
इस पूरी घटना से राज्य सरकार और राज्य की नौकरशाही में खलबली मच गई है. बदमाशों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का एक फर्जी पत्र तैयार किया, जिसके आधार पर उन्होंने कीमती जमीन हड़पने की कोशिश की। पत्र सामने आते ही हरियाणा सरकार और नौकरशाही के हाथ-पांव फूल गए. तीन दिन पहले शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक पहुंची।
अपनी कैबिनेट का पत्र देखकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद हैरान रह गए और उन्होंने मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद से इसकी जानकारी ली. सभी खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गईं। सीआईडी प्रमुख आलोक कुमार मित्तल और पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को मामले की तह तक जाने का निर्देश दिया गया.
मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने जब अपने कार्यालय के शाखा कर्मियों को बुलाया तो पता चला कि मनोहर कैबिनेट का पत्र पूरी तरह फर्जी है.
कैबिनेट बैठक का फर्जी पत्र तैयार किया गया
इस तरह 500 करोड़ रुपये की जमीन अधिग्रहण योजना तैयार राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद में जमीन की कीमतें काफी ज्यादा हैं. गुरुग्राम के बादशाहपुर और राजीव चौक इलाके में बेशकीमती जमीन को रिलीज करने के लिए कैबिनेट मीटिंग का फर्जी लेटर तैयार किया गया. यह पत्र 15 और 21 दिसंबर, 2023 का है, जब कोई कैबिनेट बैठक नहीं हुई थी।
नवंबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई थी। फर्जीवाड़ा कैबिनेट नोट को पढ़ने के बाद सामने आया, जिसमें भाषाई नोट में मुख्यमंत्री और एफसीआर (वित्त आयुक्त) दोनों के पद शामिल थे, जबकि कैबिनेट बैठक की प्रणाली में कैबिनेट बैठक का नोट वरिष्ठता के अनुसार लिखा जाता है। उल्टा लिखा था.
फर्जी पत्रावली तैयार करने वाले लोग राजस्व विभाग के कर्मचारियों और प्रॉपर्टी डीलरों की मिलीभगत से जमीन की रजिस्ट्री कराने की तैयारी में थे। लेकिन उससे पहले ही पत्र पकड़ लिया गया. बाद में पता चला कि मामला रोहतक और सोनीपत से भी जुड़ा है, जहां जमीन छुड़ाने की कोशिश की गई थी। पुलिस अब पूरे गिरोह पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है.
मनोहर लाल की सरकार ने जमीन का अधिग्रहण नहीं किया
पूर्व सीएम मनोहर लाल के कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण और भूमि जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। मनोहर लाल ने किसी भी सरकारी परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया, जबकि किसानों से बाजार दर पर जमीन खरीदी गई। इसके लिए सरकार ने एक ई-लैंड पोर्टल बनाया है, जिस पर किसान अपनी जमीन बेचने के लिए सरकार को ऑफर देते थे. दोनों पक्षों में जमीन के रेट पर सहमति बनी तो जमीन खरीद ली गयी.
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधानसभा में कई बार ऑन रिकॉर्ड कह चुके हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की तरह वह कभी भी जमीन अधिग्रहण और रिलीज करने के कारोबार में नहीं रहे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे लोग पकड़े गये तो सरकार जालसाजों को नहीं बख्शेगी.