हरियाणा की रानियां विधानसभा से भाजपा को झटका, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने पार्टी छोड़ी, निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान
Trends of discover (ब्यूरो)। हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भाजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और अपनी भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। रणजीत चौटाला ने यह फैसला भाजपा की 67 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद लिया जिसमें उनका नाम शामिल नहीं था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें डबवाली से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था लेकिन वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे।
रणजीत चौटाला का निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला
रणजीत चौटाला ने अपने समर्थकों के सामने यह घोषणा की कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में रानियां विधानसभा से 90 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें भाजपा के टिकट से कोई समस्या नहीं थी लेकिन वह डबवाली से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। रणजीत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वह 8 सितंबर को रानियां में एक बड़ा रोड शो करेंगे और अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। यह रोड शो भाजपा के लिए एक संदेश होगा कि रणजीत चौटाला की ताकत और प्रभाव अब भी बरकरार है।
रणजीत चौटाला का नाम हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा नाम है। वह पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे हैं और उनका राजनीतिक सफर काफी लंबा और घटनापूर्ण रहा है। रणजीत चौटाला का भाजपा के साथ जुड़ाव तब हुआ जब उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल किया गया और हिसार से चुनाव लड़ने का मौका दिया गया। हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद रणजीत ने रानियां विधानसभा सीट से फिर से अपनी दावेदारी पेश की और भाजपा से टिकट की मांग की।
इस्तीफे के बावजूद मंत्री पद पर बने रहे
रणजीत चौटाला की राजनीति की एक और खास बात यह रही कि लोकसभा चुनाव हारने और रानियां के विधायक पद से इस्तीफा देने के बावजूद भाजपा ने उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाए रखा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट में उन्हें ऊर्जा मंत्री का पद दिया गया। हालांकि भाजपा के साथ उनके संबंध कभी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाए और अब उन्होंने भाजपा से पूरी तरह से दूरी बनाने का फैसला किया है।
रणजीत चौटाला की बगावत
यह पहली बार नहीं है जब रणजीत चौटाला ने बगावत की है। इससे पहले भी वह अपने पिता चौधरी देवीलाल की पार्टी लोकदल को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस में उनका लंबा सफर रहा लेकिन जब कांग्रेस ने उन्हें रानियां से टिकट नहीं दिया तो उन्होंने 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की और फिर भाजपा सरकार को समर्थन दिया। इस समर्थन के बदले में उन्हें भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद मिला। हालांकि इस बार रणजीत चौटाला ने अपने समर्थकों और जनता के सामने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब भाजपा के टिकट से चुनाव नहीं लड़ेंगे और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाएंगे।
भाजपा और रणजीत चौटाला के संबंध
रणजीत चौटाला का भाजपा से जुड़ाव और फिर पार्टी छोड़ने का निर्णय हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि रणजीत चौटाला का रानियां और आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रभाव है। भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल कर एक रणनीतिक कदम उठाया था लेकिन अब रणजीत के पार्टी छोड़ने से भाजपा को उस क्षेत्र में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
रणजीत चौटाला का यह निर्णय भाजपा के अंदर चल रही आंतरिक राजनीति और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें डबवाली से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था लेकिन वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। यह दिखाता है कि पार्टी के अंदर टिकट वितरण को लेकर नेताओं के बीच असहमति हो सकती है जो चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।
भाजपा के लिए खतरा?
रणजीत चौटाला का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक खतरा हो सकता है। रानियां विधानसभा क्षेत्र में रणजीत की पकड़ मजबूत है और उनका समर्थक आधार भी व्यापक है। ऐसे में उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा को उस क्षेत्र में कड़ी चुनौती मिल सकती है। रणजीत के रोड शो की घोषणा इस बात का संकेत है कि वह जनता के बीच अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन करेंगे और भाजपा को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर सकते हैं।