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सिरसा की रानिया विधानसभा सीट पर कांडा परिवार का दबदबा, प्रत्याशी घोषित करने से BJP की बढ़ी मुश्किलें?

Rania Assembly Seat: हाल ही में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा था कि हरियाणा लोकहित पार्टी और भाजपा साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन धवल कांडा के नाम की घोषणा के बाद यह गठबंधन कितने लंबे समय तक चल पाएगा इस पर सवाल उठने लगे हैं।
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Rania Assembly Seat
Rania Assembly Seat

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Haryana) का बिगुल बजने से पहले ही राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी (Haryana Lokhit Party) के नेता गोपाल कांडा ने अपने भतीजे धवल कांडा को रानिया विधानसभा सीट (Rania Assembly Seat) से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इस ऐलान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है खासकर भाजपा नेता और पूर्व विधायक रणजीत चौटाला के लिए। रणजीत चौटाला जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे अब कांडा परिवार के इस कदम से परेशानी में आ सकते हैं।

गोपाल कांडा ने क्यों चुनी रानिया सीट?

गोपाल कांडा का यह फैसला एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। रानिया विधानसभा सीट हमेशा से ही कांडा परिवार के लिए खास रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में रणजीत चौटाला ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी लेकिन अब वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे। कांडा परिवार द्वारा इस सीट से धवल कांडा को उतारने का फैसला रणजीत चौटाला के लिए चुनौती बन सकता है।

भाजपा के साथ गठबंधन

हाल ही में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा था कि हरियाणा लोकहित पार्टी और भाजपा साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन धवल कांडा के नाम की घोषणा के बाद यह गठबंधन कितने लंबे समय तक चल पाएगा इस पर सवाल उठने लगे हैं। गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा जो खुद भाजपा नेता हैं ने भी इस घोषणा का समर्थन किया है। इससे यह साफ है कि कांडा परिवार की रणनीति भाजपा के लिए सिरदर्दी साबित हो सकती है।

रणजीत चौटाला के लिए खतरे की घंटी

रणजीत चौटाला के लिए यह समय काफी कठिन हो सकता है। हाल ही में उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन की थी और हिसार से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह चुनाव हार गए। अब जब रणजीत चौटाला भाजपा के कार्यक्रमों से भी दूर हैं और प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति और प्रदेश चुनाव समिति में उनका नाम नहीं आया है तो उनकी स्थिति और भी कमजोर हो गई है। कांडा परिवार की ओर से धवल कांडा को रानिया सीट से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद रणजीत चौटाला की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

सिरसा में कार्यकर्ताओं की बैठक

कांडा परिवार द्वारा इस फैसले को अमल में लाने के लिए सिरसा में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें गोबिंद कांडा ने अपने बेटे धवल कांडा को रानिया सीट से प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया। गोबिंद कांडा ने बताया कि इस फैसले को कार्यकर्ताओं की रायशुमारी के बाद लिया गया है। इससे स्पष्ट है कि कांडा परिवार ने पूरी तैयारी के साथ यह कदम उठाया है।

अब सवाल यह है कि रणजीत चौटाला और भाजपा इस चुनौती का कैसे सामना करेंगे। रणजीत चौटाला जो पहले ही प्रदेश चुनाव समिति में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं उनके लिए अब रानिया सीट से चुनाव जीतना और भी मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा भाजपा को भी कांडा परिवार के इस कदम से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार करनी होगी।

कुल मिलाकर हरियाणा की राजनीति में यह एक जरूरी मोड़ साबित हो सकता है। कांडा परिवार का यह दांव रणजीत चौटाला के राजनीतिक करियर पर गहरा असर डाल सकता है जबकि भाजपा के लिए यह गठबंधन में दरार का संकेत हो सकता है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या रणजीत चौटाला इस चुनौती का सामना कर पाएंगे या कांडा परिवार की रणनीति कामयाब होगी।

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