Name plate controversy: कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी सरकार को लगा तगड़ा झटका
सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा एक खास धार्मिक आयोजन है जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के विवाद पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक जरूरी फैसला सुनाया है। सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने के बाद कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नेमप्लेट लगाना दुकानदारों के व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है और इस प्रकार के आदेश को लागू करना उचित नहीं है।
सरकारों को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इन सरकारों से पूछा है कि वे अपने आदेश के पीछे का कारण स्पष्ट करें और यह बताएं कि यह आदेश कैसे जनहित में है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश से दुकानदारों की निजता और स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ता है जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कांवड़ यात्रा के दौरान विभिन्न राज्यों में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई नियम और दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों में संचालकों के नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था। सरकार का तर्क था कि इस आदेश से सुरक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में जिम्मेदार लोगों की पहचान आसानी से की जा सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 26 जुलाई को अगली सुनवाई करने का निर्णय लिया है। अदालत ने कहा है कि इस तारीख तक सभी संबंधित पक्ष अपने-अपने जवाब दाखिल करें ताकि मामले की व्यापकता को समझा जा सके और उचित निर्णय लिया जा सके।
दुकानदारों की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर दुकानदारों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ दुकानदारों का कहना है कि नेमप्लेट लगाने से उनकी निजता का हनन होता है और यह उनके व्यावसायिक अधिकारों के खिलाफ है। वहीं कुछ दुकानदारों का मानना है कि यदि इससे सुरक्षा व्यवस्था में सुधार होता है तो यह एक उचित कदम है।