गेहूं की नई वैरायटी! कम खर्च में मिलेगी 91 क्विंटल की पैदावार
भारत में खरीफ फसलों का सीजन समाप्ति पर है और अब किसानों की निगाहें गेहूं की बुवाई पर टिक गई हैं। हर किसान की यही कोशिश होती है कि वह अपने खेतों में ऐसी गेहूं की वैरायटी लगाए जो कम लागत में बेहतरीन उत्पादन दे सके। यदि आप भी अच्छे गेहूं के बीज की तलाश में हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक नई किस्म (HD 3385) विकसित की है जो खराब मौसम और बीमारियों से मुक्त है। यह किस्म किसानों को 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन देने की क्षमता रखती है।
हर मौसम में मिलेगा बेहतरीन उत्पादन
पिछले कुछ सालों में गेहूं की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय साबित हुई है। हालांकि, खराब मौसम और बीमारियों के कारण गेहूं की पैदावार में कमी आई है और कई किसान इसका खामियाजा भुगत चुके हैं। इस समस्या को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म HD 3385 तैयार की है, जो किसी भी मौसम में अधिकतम पैदावार देने में सक्षम है। इस किस्म पर न तो खराब मौसम का प्रभाव पड़ता है और न ही बीमारियों का, जिससे किसान को हर परिस्थिति में अच्छी उपज मिलती है।
गेहूं की HD 3385: एक नई उम्मीद
HD 3385 गेहूं की नई किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। यह नई किस्म उत्तरी और पूर्वी भारत के मैदानों के लिए उपयुक्त है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर इस किस्म की समय पर बुवाई की जाए, तो इससे 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार मिल सकती है। यही नहीं, इस किस्म का औसत उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन बेहतर देखभाल और अनुकूल परिस्थितियों में यह 75 से 90 क्विंटल तक जा सकता है।
सभी राज्यों में उपलब्ध होगा बीज
किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए इस गेहूं की नई किस्म को पूरे देश में उपलब्ध कराया जाएगा। HD 3385 पर मौसम में बदलाव और पीला रतुआ रोग का कोई असर नहीं होता है। यह किस्म देश के सभी हिस्सों में बुवाई के लिए उपयुक्त है और इसका औसत उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी पैदावार विभिन्न परिस्थितियों में भी 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देखी है, जो इसे अन्य किस्मों से खास बनाती है।
तापमान का असर नहीं
HD 3385 गेहूं की इस नई किस्म पर अधिक तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जो इसे गर्म इलाकों में भी बुवाई के लिए उपयुक्त बनाता है। इस किस्म में करनाल बंट जैसी बीमारियों का खतरा भी नहीं है। यही नहीं, यह किस्म येलो, ब्राउन और ब्लैक रस्ट से भी मुक्त है, जिससे किसानों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 98 सेंटीमीटर होती है और टिलरिंग की समस्या भी नहीं होती, जिससे यह किस्म अधिक सुरक्षित और टिकाऊ होती है।
कब करें गेहूं की बुवाई?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस किस्म की बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। यह समय इस किस्म के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बुवाई के दौरान सही समय पर खेत की तैयारी और सही मात्रा में खाद का उपयोग उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। HD 3385 में मौसम के बदलाव और बीमारियों का प्रभाव न होने के कारण इसे समय पर बुवाई करना आवश्यक है ताकि किसान अधिकतम पैदावार प्राप्त कर सकें।
भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख गेहूं की किस्में
भारत में वर्तमान में गेहूं की कई प्रमुख किस्में उगाई जाती हैं, जो अलग-अलग राज्यों और जलवायु के अनुसार अनुकूल हैं। इनमें प्रमुख किस्में शामिल हैं:
- वी.एल-832
- एच.एस-365
- एच.डी-2687
- डब्ल्यू.एच-147
- पी.बी डब्ल्यू-343
- श्रेष्ठ (एच.डी-2687)
- आदित्य (एच.डी 2781)
- पी.डी.डब्ल्यू-233 (डी)
- यू.पी-2338
- एच.डब्ल्यू-2044
- एन.पी-200 (डी.आई)
ये किस्में किसानों को अलग-अलग जलवायु और परिस्थितियों में अच्छी उपज प्रदान करती हैं।
भारत के गेहूं निर्यात के आंकड़े
विश्व व्यापार में गेहूं का सबसे बड़ा योगदान है और भारतीय गेहूं की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निरंतर बढ़ती जा रही है। 2023-24 में भारत ने 470.83 करोड़ रुपये (56.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की कीमत पर 188287.99 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया है। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय गेहूं न केवल देश के भीतर बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय है।