हरियाणा विधानसभा चुनाव में शैलजा कुमारी की खामोशी पर सवाल, कांग्रेस में गुटबाजी ने पकड़ी रफ्तार
हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। इस चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में जोरों से जुटी हैं। लेकिन इन चुनावी सरगर्मियों के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दलित समुदाय की बड़ी नेता कुमारी सैलजा की खामोशी हरियाणा की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है।
कुमारी सैलजा के सोशल मीडिया अकाउंट्स खासकर ट्विटर और फेसबुक काफी समय से निष्क्रिय दिख रहे हैं। जहां अन्य नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं वहीं कुमारी सैलजा के ट्विटर अकाउंट पर सबसे ऊपर जून की एक पुरानी पोस्ट है जिसमें वह राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाते हुए नजर आ रही हैं। इस पोस्ट के बाद उनका 20 सितंबर का एक पोस्ट दिखता है जिसमें उन्होंने कालका से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप चौधरी के काफिले पर गोली चलने की घटना का जिक्र किया है। इसके बाद से कुमारी सैलजा ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी और सैलजा की नाराजगी
कुमारी सैलजा की इस चुप्पी ने हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी की चर्चाओं को हवा दे दी है। खासकर उनके और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच रिश्तों में खटास की खबरें लगातार सुर्खियों में हैं। पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को लेकर चर्चा बढ़ रही है हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इन खबरों को खारिज करते हुए कहा था कि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं है।
सूत्रों के अनुसार हुड्डा गुट ने सैलजा को साइडलाइन कर दिया है जिससे कुमारी सैलजा नाराज चल रही हैं। दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ मुलाकात कर वह अपने भविष्य की रणनीति पर विचार कर रही हैं। इस दौरान उनकी खामोशी से कांग्रेस आलाकमान की चिंता भी बढ़ी हुई है।
भाजपा ने साधा निशाना दिया न्योता
कुमारी सैलजा की इस खामोशी को भाजपा ने भी अपने राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस की इस अंदरूनी कलह पर निशाना साधते हुए कुमारी सैलजा को बीजेपी में शामिल होने का खुला न्योता दिया। उन्होंने कांग्रेस में सीएम पद के चेहरे को लेकर अनिश्चितता की ओर इशारा किया और कहा कि हरियाणा कांग्रेस अंतर्कलह से जूझ रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा “हमारी दलित बहन घर पर बैठी है। कांग्रेस में उनसे बहुत से लोग नाराज हैं लेकिन हमारी पार्टी उनके लिए दरवाजे खोलने को तैयार है। अगर कुमारी सैलजा चाहें तो भाजपा में उनका स्वागत है।”
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें
कुमारी सैलजा की खामोशी ने न केवल हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी मतभेदों को उजागर किया है बल्कि पार्टी के चुनाव प्रचार पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि सैलजा की सक्रियता चुनाव में दलित मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद कर सकती है लेकिन उनकी नाराजगी और गुटबाजी की खबरों से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।