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Sirsa News: सिरसा जिले के खेतों में पाई जाती ये खास औषधि, अस्थमा और पथरी के लिए है रामबाण, जानें पूरी डिटेल

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अस्थमा और पथरी के लिए है रामबाण

Trends Of Discover, सिरसा: हरियाणा के सिरसा जिले के खेतों में हजारों पेड़ और घास हैं जिनका उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है। आयुर्वेद में ऐसे पौधों को बहुत महत्व दिया जाता है। अक्सर जब जड़ी-बूटियों की बात आती है तो तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा चर्चा होती है। लेकिन कई पौधे ऐसे भी हैं जिन्हें ज्यादा महत्व नहीं मिलता. ऐसा ही एक पौधा है सत्यानाशी, जिसमें अस्थमा रोधी गुण होते हैं। जिसे कई नामों से जाना जाता है. कुछ जगहों पर लोग इसे कंटकारी कहते हैं तो कुछ जगहों पर भटकटैया कहते हैं। जबकि आयुर्वेद में इसे सत्यानाशी के नाम से जाना जाता है।

कई तरह की बीमारियों से राहत दिलाने में कारगर

आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅ. अनुराग अहिरवार ने बताया कि इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से अस्थमा ठीक हो जाता है। साथ ही इसके अर्क का सेवन करने से कई बीमारियों से राहत मिलती है। इसके दूध को पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है। इसके बीजों का धुंआ करने से दांत दर्द और कीड़ों से राहत मिलेगी। इसकी जड़ का उपयोग पथरी के इलाज के लिए किया जाता है। इसका पूरा पौधा अमृत के समान है, इसकी जड़ों और फलों का उपयोग कई औषधियाँ बनाने में किया जाता है। 1 से 3 ग्राम चूर्ण और 40 से 80 मिलीलीटर काढ़ा लेना सुरक्षित माना जाता है।

इन जगहों पर मिलते है ये  पीले फूल 

सत्यानाशी की पहचान इसके पीले फूल, कांटेदार पत्तियां और फूलों के अंदर काले, हल्के लाल बीज से होती है। यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है और ठंडी जलवायु में उगता है। हमारे यहां पर ये पौधा सूखा ग्रस्थ इलाकों में पाया जाता है।

नोट: इस खबर में दी गई दवा और स्वास्थ्य सलाह विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित है। इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

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