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इस सीजन में गेहूं की एक नयी किस्मों की करें बुवाई, नोट गिनते गिनते थक जाएंगे आप

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Pusa Wheat Sharbati
Pusa Wheat Sharbati

भारत में किसानों के सामने बदलते मौसम की चुनौतियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। हर वर्ष किसानों को फसल उत्पादन में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो सीधे तौर पर उनकी आय को प्रभावित करती हैं। इसी समस्या को देखते हुए भारतीय कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत हैं कि वे ऐसी फसलों की किस्में विकसित कर सकें जो बदलते मौसम के साथ अपने आपको अनुकूलित कर सकें और विभिन्न रोगों से भी कारगर तरीके से लड़ सकें।

इस दिशा में एक कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 11 अगस्त को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में 109 नई फसल किस्मों का अनावरण किया है। इनमें से दो विशेष रूप से गेहूं की किस्में हैं, जो मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र द्वारा विकसित की गई हैं।

एचआई 1665 (पूसा गेहूं शरबती):

एचआई 1665, जिसे पूसा गेहूं शरबती के नाम से भी जाना जाता है, बदलते मौसम के अनुरूप अनुकूलित की गई एक उन्नत किस्म है। यह किस्म विशेष रूप से कम तापमान और सूखा जैसी समस्याओं से निपटने में सक्षम है। इसका मतलब है कि यह गर्मी और सूखे के प्रतिरोधी है, जिससे यह उन क्षेत्रों के लिए बेहद उपयुक्त है जहां पानी की कमी होती है और फसल पकने के समय उच्च तापमान का सामना करना पड़ता है।

बायो फोर्टिफाइड ब्रेड गेहूं: एचआई 1665 में उच्च प्रोटीन सामग्री (12.0%) पाई जाती है, साथ ही इसमें जिंक (40.0 पीपीएम) और आयरन (39.0 पीपीएम) का भी उच्च स्तर होता है। इसका सीधा मतलब है कि यह गेहूं पोषण के लिहाज से भी बेहतरीन है।

मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त: एचआई 1665 में कम ग्लूटेन इंडेक्स (44) है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

उपज क्षमता: इस किस्म की उपज क्षमता 33.0 क्विंटल/हेक्टेयर (सीमित सिंचाई स्थितियों में) है, और संभावित उपज 43.5 क्विंटल/हेक्टेयर है। इसे 110-115 दिनों में तैयार किया जा सकता है।

अन्य विशेषताएं: एचआई 1665 में काला और भूरा रतुआ के प्रति प्रतिरोध है। यह अर्ध-बौनी प्रकृति की है और इसमें प्रीमियम अनाज गुणवत्ता है, जिससे किसानों को उच्च मूल्य मिलता है। इसमें जल उपयोग कुशल जीनोटाइप भी पाया गया है, जो इसे पानी की कम उपलब्धता में भी उपयुक्त बनाता है।

एचआई 8840 (पूसा गेहूं गौरव): एक और नया विकल्प
एचआई 8840, जिसे पूसा गेहूं गौरव के नाम से भी जाना जाता है, भी बदलते मौसम के हिसाब से अनुकूलित की गई है। यह किस्म भी कम तापमान और सूखा जैसी समस्याओं के प्रति प्रतिरोधी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फसल पकने के समय उच्च तापमान के दौरान भी प्रभावशाली ढंग से अनाज उत्पादन करने में सक्षम है।

उपज क्षमता: एचआई 8840 की औसत उपज 30.2 क्विंटल/हेक्टेयर (सीमित सिंचाई स्थितियों में) है, और संभावित उपज 39.9 क्विंटल/हेक्टेयर है। इसे भी 110-115 दिनों में तैयार किया जा सकता है।

अन्य विशेषताएं: एचआई 8840 ड्यूरम गेहूं की किस्म है जिसमें काला और भूरा रतुआ के प्रति प्रतिरोध है। यह भी बायो फोर्टिफाइड है और इसमें उच्च जिंक (41.1 पीपीएम), आयरन (38.5 पीपीएम), और प्रोटीन (12%) का स्तर पाया जाता है। इसका पीला रंग, कठोरता सूचकांक और उत्कृष्ट पास्ता गुणवत्ता इसे एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं।

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