सिरसा में घग्गर नदी का जलस्तर हुआ कम, धान की पैदावार पर पड़ सकता है असर, जानें ताजा रिपोर्ट
चंडीगढ़, 16 अगस्त: हरियाणा के सिरसा जिले के रानियां क्षेत्र में स्थित घग्घर नदी जो बरसात के सीजन में अक्सर बाढ़ का कारण बनती है इस साल अपेक्षाकृत शांत है। अगस्त महीने के मध्य तक घग्घर नदी में जलस्तर 2300 क्यूसेक तक ही पहुंच पाया है। जबकि पिछले वर्ष इसी समय पर नदी उफान पर थी और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इस वर्ष पहाड़ी इलाकों में कम बरसात होने के कारण घग्घर नदी में बरसाती पानी की मात्रा में भारी कमी आई है। यह स्थिति न केवल बाढ़ के खतरे को कम कर रही है बल्कि धान के खेतों में पानी की कमी का संकेत भी दे रही है। सावन का महीना बीतने को है लेकिन घग्घर नदी में बरसाती पानी देर से पहुंचने के कारण धान की पैदावार में कमी आने की संभावना बनी हुई है।
घग्घर नदी की ताजा रिपोर्ट
- गुल्हा चीका: 25846 क्यूसेक
- खनौरी: 9000 क्यूसेक
- चांदपुर: 5850 क्यूसेक
- सरदुलगढ़: 11070 क्यूसेक
- ओटू हेड: 2300 क्यूसेक
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि इस बार घग्घर नदी में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है जिससे बाढ़ का खतरा कम हुआ है लेकिन कृषि क्षेत्र में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
निगरानी के लिए टीम का गठन
घग्घर नदी से जुड़ी सभी नहरों में पानी छोड़ा जा चुका है। ओटू हेड से निकलने वाली माइनर और नहरों में जैसे रत्ता खेड़ा खरीफ चैनल (आरकेसी) घग्घर बनी सहदेवा लिंक चैनल (जीबीएसएम) मंगाला माइनर डायरेक्ट माइनर कसाबा माइनर हैड से शेरां वाली पैरलल एसजीसी अनलाईंड एनजीसी एसजीसी लाईंड में पानी की आपूर्ति की जा रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार बरसाती पानी के बढ़ते जलस्तर की निगरानी के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों का कार्य मुख्य रूप से धान के खेतों में पानी की खपत और नहरों व माइनरों में पानी की पूर्ति की निगरानी करना है।
विभाग ने किए पुख्ता इंतजाम
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि घग्घर नदी में जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और इसके लिए विभागीय टीमों द्वारा नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। हालांकि पिछले वर्ष की तरह इस बार बाढ़ की स्थिति नहीं बनी लेकिन विभाग ने पहले से ही सभी संभावित परिस्थितियों के लिए पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं।
पिछले वर्ष इसी महीने में घग्घर नदी में पानी का स्तर इतना बढ़ गया था कि उसने कई इलाकों को जलमग्न कर दिया था। हालांकि विभाग के सटीक प्रबंधन और समय पर उठाए गए कदमों के कारण जान-माल का नुकसान होने से बचा लिया गया था।