Haryana Cold Wave: हरियाणा में बिना बारिश किसानों की बढ़ी मुश्किलें, जानें फसलों को पाले से बचाने के उपाय
हरियाणा राज्य राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने किसानों और आमजन के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें शीतलहर और पाले से बचने के उपाय सुझाए गए हैं। खासकर सरसों, आलू, सब्जियों की नर्सरी और छोटे फलों के पौधों को बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
हरियाणा में ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। शीतलहर की मार से आमजन ही नहीं बल्कि किसानों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। बिना बारिश के कारण किसानों की चिंताएं बढ़ी हैं वहीं ठंड और पाले के कारण फसलें बर्बाद होने का खतरा भी मंडरा रहा है।
हरियाणा राज्य राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने किसानों और आमजन के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें शीतलहर और पाले से बचने के उपाय सुझाए गए हैं। खासकर सरसों, आलू, सब्जियों की नर्सरी और छोटे फलों के पौधों को बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
बिना बारिश और शीतलहर का असर
हरियाणा में दिसंबर से फरवरी तक ठंड का मौसम रहता है। हालांकि इस बार ठंड के साथ बारिश की कमी भी किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। बिना बारिश के फसलों को पर्याप्त नमी नहीं मिल रही है जिससे फसलें कमजोर हो रही हैं। ठंड और पाले के कारण पौधों के ऊपर बर्फ जमने की संभावना बढ़ जाती है जो उन्हें नष्ट कर सकती है।
फसलों को बचाने के उपाय
हरियाणा सरकार और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पाले और ठंड से फसलों को बचाने के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं:
- फसलों की सिंचाई करें
पाला जमने से बचाने के लिए खेतों में सिंचाई करना बेहद जरूरी है। सिंचाई से जमीन का तापमान बढ़ता है जिससे फसलें पाले से सुरक्षित रहती हैं। - धुआं करना
खेत के किनारे कचरा और सूखी लकड़ी जलाकर धुआं करें। यह प्रक्रिया रात के समय करें, खासकर उस दिशा में जहां से हवा आ रही हो। इससे तापमान बढ़ेगा और पाले का असर कम होगा। - नर्सरी और छोटे पौधों का संरक्षण
सब्जियों और फलों के छोटे पौधों को प्लास्टिक शीट या घास से ढक दें। इससे पौधों को ठंड और पाले से बचाने में मदद मिलेगी। - तापमान की निगरानी करें
मौसम विभाग की सलाह का पालन करें और तापमान की नियमित निगरानी करें। इसके आधार पर फसलों की देखभाल करें। - खेतों में मल्चिंग करें
खेतों में मल्चिंग करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है और पौधों की जड़ों को ठंड से बचाया जा सकता है।
प्रभावित फसलें और उनका संरक्षण
हरियाणा में सरसों, गेहूं, आलू, और सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ठंड और पाला इन फसलों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।
- सरसों: पाला सरसों की पत्तियों को झुलसा सकता है। सिंचाई और धुएं का उपयोग करें।
- आलू: ठंड आलू के कंद को खराब कर सकती है। पौधों को ढकने के लिए घास या प्लास्टिक का उपयोग करें।
- सब्जियां: टमाटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जियों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। नर्सरी को ढककर रखें।
शीतलहर का आमजन पर प्रभाव
शीतलहर का असर सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं है। यह आमजन के स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर भी भारी पड़ रहा है। ठंड के कारण बुजुर्ग और बच्चे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। राज्य के स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक ठंड और शीतलहर जारी रहने की संभावना जताई है। विभाग ने किसानों को सतर्क रहने और सुझावों का पालन करने की सलाह दी है।
किसानों के लिए सरकारी सहायता
हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए विशेष हेल्पलाइन जारी की है। पाले और ठंड से फसल प्रभावित होने पर किसान तुरंत कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार फसल बीमा योजना के तहत प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की भी तैयारी कर रही है।
कृषि विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड और पाले के समय में फसलों की नियमित देखभाल बेहद जरूरी है। सिंचाई और धुआं करने से फसलें काफी हद तक सुरक्षित रह सकती हैं। किसानों को मौसम की जानकारी समय-समय पर प्राप्त करनी चाहिए।