सिरसा सिंचाई विभाग में करोड़ों का घोटाला उजागर, बाढ़ राहत के नाम पर फर्जी बिलिंग से लूटा सरकारी खजाना
ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने के लिए 2 वर्षों के दौरान एक नकारा घोषित ट्रैक्टर से सामान की आपूर्ति कराई गई। यह ट्रैक्टर झज्जर का था और हर साल खाली बैग सप्लाई करने के लिए उपयोग किया गया। विभाग के कॉन्ट्रैक्टेड ठेकेदार ने दो अलग-अलग फर्मों से फर्जी कोटेशन देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
हरियाणा के सिंचाई विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने और बाढ़ राहत कार्यों के नाम पर किए गए भारी वित्तीय अनियमितताओं की जांच में चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। सरकारी ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
सप्लाई घोटाले का खुलासा
ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने के लिए 2 वर्षों के दौरान एक नकारा घोषित ट्रैक्टर से सामान की आपूर्ति कराई गई। यह ट्रैक्टर झज्जर का था और हर साल खाली बैग सप्लाई करने के लिए उपयोग किया गया। विभाग के कॉन्ट्रैक्टेड ठेकेदार ने दो अलग-अलग फर्मों से फर्जी कोटेशन देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। संबंधित अधिकारियों ने न तो सामान की वास्तविक खरीदारी की रिपोर्ट प्रस्तुत की और न ही इस पर कोई गंभीरता दिखाई।
घटिया निर्माण कार्य का मामला
ओटू हैड पर करोड़ों रुपये की लागत से एक नया साइफन बनाया गया था। लेकिन निर्माण के मात्र 1 महीने के भीतर यह साइफन टूट गया। शिकायतों के बावजूद इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। साइफन निर्माण में इस्तेमाल सामग्री और गुणवत्ता की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। स्थानीय लोगों और आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि निर्माण में निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया गया था।
मिट्टी की खुदाई में भ्रष्टाचार का खेल
ओटू हैड की खुदाई और मिट्टी उठाने के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। परियोजना के नाम पर दिखावे की कार्रवाई की गई लेकिन असल में खर्च की गई राशि और काम के बीच बड़ा अंतर पाया गया। शिकायतें उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गईं लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई।
सीएम विंडो पर कार्रवाई की धीमी गति
जिला प्रशासन, स्टेट विजिलेंस और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्राचार के माध्यम से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। विजिलेंस टीम ने केवल औपचारिकता निभाई और बयान दर्ज कर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सीएम विंडो पर भी मामला दर्ज कराया गया लेकिन इसे जूनियर अधिकारियों के माध्यम से निपटाकर मामले को दबा दिया गया।
घग्गर नदी परियोजना में फर्जीवाड़ा
बाढ़ राहत के नाम पर घग्गर नदी के तटबंधों को मजबूत करने के लिए 2019 से 2023 तक भारी राशि खर्च की गई। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इन वर्षों में फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये का गबन किया गया।
सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से इस परियोजना को भ्रष्टाचार का शिकार बनाया गया। तटबंध निर्माण और बाढ़ प्रबंधन के लिए नामांकित ठेकेदारों ने असली काम को अनदेखा करते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन परियोजनाओं की जांच के लिए बार-बार शिकायतें की गईं लेकिन परिणामस्वरूप कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।