सिरसा में आज ही के दिन हुआ था दिल दहला देने वाला हादसा, 442 लोगों की हुई थी मौत, जानें 1995 का वो काला दिन
A heart wrenching accident happened in Sirsa on this day, 442 people died, know about that black day of 1995
Dabwali Fire Incident: हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली में 23 दिसंबर 1995 की तारीख इतिहास के पन्नों में एक भयानक त्रासदी के रूप में दर्ज है। इस दिन डबवाली के डीएवी स्कूल में हुए भीषण अग्निकांड (DAV School fire accident) में 442 लोगों की जान चली गई थी। इसमें 248 बच्चे और 150 महिलाएं शामिल थीं। यह घटना आज भी डबवाली के निवासियों के लिए दर्द का जख्म बनी हुई है।
डीएवी स्कूल का वार्षिकोत्सव बना मौत का जाल
1995 में डबवाली के राजीव मैरिज पैलेस में डीएवी स्कूल का वार्षिक महोत्सव मनाया जा रहा था। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं अपनी प्रस्तुतियां दे रहे थे अचानक पंडाल में आग लग गई। पंडाल की छत तिरपाल और पॉलीथीन से बनाई गई थी जो आग पकड़ने के बाद तेजी से पिघलकर वहां मौजूद लोगों पर गिरने लगी। इस बीच पास में खाना बनाने के लिए रखा गैस सिलेंडर और डीजल भरा जनरेटर भी आग की चपेट में आ गया जिससे आग और भी भयंकर हो गई। देखते ही देखते कार्यक्रम स्थल पर अफरा-तफरी मच गई और पूरा माहौल मातम में बदल गया।
श्मशान घाट भी पड़ गया छोटा
अग्निकांड इतना भयंकर था कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए शहर का श्मशान घाट भी कम पड़ गया। लोगों को अंतिम संस्कार के लिए अन्य स्थानों का सहारा लेना पड़ा। वहीं घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए शहर में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं और डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे।
देश की सबसे बड़ी अग्नि त्रासदी
डबवाली अग्निकांड को भारत की सबसे बड़ी अग्नि दुर्घटनाओं में गिना जाता है। इसने न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश और विदेश को हिला कर रख दिया। इस त्रासदी ने सरकारी तंत्र और सुरक्षा उपायों की कमजोरियों को उजागर किया। घटना के पीड़ितों और उनके परिवारों ने 1996 में न्याय की मांग के लिए अदालत का रुख किया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सदस्यीय आयोग का गठन किया जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद के सेवानिवृत्त जज टीपी गर्ग ने की।
आयोग की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने पीड़ितों को 50 करोड़ रुपये का मुआवजा ब्याज सहित देने का आदेश दिया। पीड़ित परिवारों की मदद के लिए ‘डबवाली अग्निकांड एसोसिएशन’ और ‘डबवाली फायर विक्टिम्स ट्रस्ट’ की स्थापना की गई। इस ट्रस्ट ने स्मारक और एक लाइब्रेरी का निर्माण कराया जहां आगजनी से बचने के उपायों को दर्शाने वाले चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
आज भी ताजा है जख्म
डबवाली अग्निकांड को 29 साल हो चुके हैं लेकिन इस घटना की भयावहता आज भी डबवाली के लोगों की यादों में ताजा है। हर साल 23 दिसंबर को इस दिन को एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है। जिस स्थान पर यह हादसा हुआ था, वहां आज अग्निकांड स्मारक बना हुआ है जो इस त्रासदी की दर्दनाक यादों को संजोए हुए है।