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अमेरिका में दोबारा ट्रंप सरकार आते ही गिरा एक देश, एक डॉलर की कीमत हुई इतने करोड़

डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में एकतरफा कदम उठाते हुए ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था। इस समझौते में ईरान और कई पश्चिमी देशों के बीच आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहमति बनी थी, लेकिन ट्रंप के इस फैसले से ईरान की मुद्रा रियाल का मूल्य गिरता गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत का असर दुनियाभर में महसूस किया जा रहा है। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरान की मुद्रा रियाल 7,03,000 के निचले स्तर पर पहुंच गई। 2018 में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे और 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था। विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की वापसी से ईरान पर आर्थिक दबाव और बढ़ सकता है। इस स्थिति में, तेहरान के बाजार और आम जनता पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है।

परमाणु समझौते से हटने का ट्रंप का फैसला

डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में एकतरफा कदम उठाते हुए ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था। इस समझौते में ईरान और कई पश्चिमी देशों के बीच आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहमति बनी थी लेकिन ट्रंप के इस फैसले से ईरान की मुद्रा रियाल का मूल्य गिरता गया। जब यह समझौता 2015 में हुआ था उस समय एक रियाल की कीमत 32,000 थी जो अब 7,03,000 तक पहुंच गई है। ट्रंप के सत्ता में लौटने की अटकलों के बीच अब ईरानी मुद्रा में इस कदर गिरावट हो रही है कि ईरान को दोबारा एक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

पेज़ेशकियान का पदभार और ईरान की आर्थिक चुनौतियां

इस साल जुलाई में सुधारवादी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने ईरान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उस दिन रियाल की कीमत 584,000 प्रति डॉलर थी। पेजेशकियान ने पश्चिमी प्रतिबंधों को कम करने के लिए बातचीत का वादा किया था, लेकिन ट्रंप के संभावित पुनः चुनाव ने उनकी योजनाओं पर प्रभाव डाल दिया है। मई में पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की आकस्मिक मृत्यु के बाद राष्ट्रपति बने पेजेशकियान के सामने परमाणु कार्यक्रम से जुड़े मुद्दों के चलते आर्थिक सुधार करना एक चुनौती बना हुआ है।

ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ सकता है। इजराइल, जो अमेरिका का मुख्य सहयोगी है, हाल ही में गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ संघर्षरत है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वह मध्य-पूर्व में शांति बहाल करेंगे। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इजराइल और ईरान के बीच विवाद बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा हैं। हाल ही में ईरान ने इजराइल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी, जिससे मध्य-पूर्व क्षेत्र में संभावित संकट के संकेत मिल रहे हैं।

आर्थिक पाबंदियों के कारण ईरानी अर्थव्यवस्था पर संकट

ईरान की अर्थव्यवस्था पिछले कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के कारण संघर्ष कर रही है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का असर सीधे तौर पर उसकी मुद्रा पर पड़ा है। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने की संभावना के चलते निवेशकों के बीच भी अनिश्चितता बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की वापसी ईरान के लिए कठिन आर्थिक चुनौतियों का सबब बन सकती है, क्योंकि अमेरिका के प्रतिबंधों के साथ-साथ यूरोप और पश्चिमी देश भी ईरान पर पाबंदियां बढ़ा सकते हैं।

मध्य-पूर्व में स्थिति का असर

मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्ष के बीच ईरान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक इजराइल के लिए, उनकी वापसी का मतलब सुरक्षा में बढ़ोतरी और ईरान पर और अधिक दबाव हो सकता है। इस बीच, ईरानी सरकार ने पिछले कुछ हफ्तों से अमेरिका के प्रति सख्त रुख अपनाया है ताकि दुनिया को दिखाया जा सके कि चाहे जो भी राष्ट्रपति बने, तेहरान अपनी स्थिति में बदलाव नहीं करेगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि ट्रंप की संभावित वापसी से ईरान की आर्थिक स्थितियां और भी खराब हो सकती हैं।

Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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