हरियाणा को मिली देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन की सौगात, भूमि अधिग्रहण से किसानों को होगा तगड़ा मुनाफा
जींद रेलवे जंक्शन पर बन रहे हाइड्रोजन प्लांट का काम लगभग 80% पूरा हो चुका है। बचे हुए 20% काम को अगले दो महीनों में खत्म करने का टारगेट है। इसके बाद जींद-सोनीपत रूट पर ट्रेन का ट्रायल (Trial Run) लिया जाएगा।
नई दिल्ली, Haryana Hydrogen Train : भारतीय रेलवे ने एक और बड़ी उपलब्धि की तरफ कदम बढ़ा दिया है। साल 2025 में देश को अपनी पहली “हाइड्रोजन ट्रेन” की सौगात मिलने जा रही है। ये ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और खास बात यह है कि यह सफर Zero Pollution होगा। 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली यह ट्रेन इको-फ्रेंडली (Eco-Friendly) ट्रांसपोर्टेशन का एक नया अध्याय लिखेगी।
जींद-सोनीपत के बीच हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल
ट्रायल सफल होने के बाद यह ट्रेन यात्रियों को उनके गंतव्य तक प्रदूषण रहित और आरामदायक सफर का मजा देगी। यह ट्रेन वंदे भारत (Vande Bharat) की तरह दिखाई देगी, लेकिन इसकी खासियत यह होगी कि यह डीजल या इलेक्ट्रिक की बजाय हाइड्रोजन से चलेगी। यानी, अब सफर में धुएं की जगह सिर्फ भाप निकलेगी।
118 करोड़ रुपये की लागत से प्रदूषण का इलाज
हाइड्रोजन ट्रेनें पूरी तरह से इको-फ्रेंडली होती हैं। जींद रेलवे जंक्शन पर 118 करोड़ रुपये की लागत से 2000 मीटर एरिया में हाइड्रोजन गैस प्लांट का निर्माण हो रहा है। यह प्लांट 3000 किलो हाइड्रोजन स्टोर करने की क्षमता रखेगा। ट्रेन में लगाए गए इंजन धुएं की जगह पानी और भाप निकालेंगे।
अब सोचिए जहां डीजल इंजन धुआं और शोर मचाते हैं, वहीं ये हाइड्रोजन ट्रेनें सफर को No Noise, Only Steam बना देंगी। इससे पर्यावरण को साफ रखने में मदद मिलेगी और यात्रियों को भी एक सुकून भरा अनुभव मिलेगा।
साढ़े चार डीजल के बराबर
अगर माइलेज की बात करें, तो हाइड्रोजन ट्रेनें एक किलो हाइड्रोजन से लगभग साढ़े चार लीटर डीजल के बराबर दूरी तय करेंगी। यह ट्रेन 360 किलो हाइड्रोजन के साथ 180 किमी का सफर कर सकेगी। यानी, अब रेलवे का खर्चा भी कम होगा और यात्रियों को सस्ता और टिकाऊ सफर मिलेगा।
इलेक्ट्रिक ट्रेनों से 10 गुना आगे
हाइड्रोजन ट्रेनें इलेक्ट्रिक ट्रेनों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा दूरी तय कर सकती हैं। इसके अलावा, हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन में दो पावर प्लांट लगाए जाएंगे, जो इसे और ज्यादा पावरफुल (Powerful) बनाएंगे। यही नहीं, इन ट्रेनों में शोर नहीं होगा। तो अब सफर में न तो “चुक-चुक” की आवाज आएगी और न ही इंजन की गरज। आरामदायक सीटों और मॉडर्न फैसिलिटीज़ के साथ यात्री खुद को हवाई जहाज (Airplane) में महसूस करेंगे।
रखरखाव में भी कम खर्चा
हाइड्रोजन से चलने वाली यह ट्रेन रखरखाव (Maintenance) के मामले में भी कम खर्चीली साबित होगी। डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन की तुलना में इसका ऑपरेशन और मेंटेनेंस बेहद किफायती होगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर रेलवे अधिकारी काफी उत्साहित हैं।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “भारत में हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन देश के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को Eco-Friendly Revolution की ओर ले जाएगा। यह कदम न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण करेगा।”
भारत बनेगा दुनिया का 5वां देश
फ्रांस, स्वीडन, जर्मनी और चीन जैसे देशों के बाद भारत दुनिया का 5वां देश होगा, जहां हाइड्रोजन ट्रेनें चलेंगी। यह उपलब्धि भारतीय रेलवे के लिए गर्व का पल होगी। रेल मंत्री ने कहा, “हमारा सपना है कि भारत का रेलवे नेटवर्क पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी (Green Energy) पर आधारित हो। हाइड्रोजन ट्रेन इस दिशा में हमारी बड़ी उपलब्धि होगी।”
सपना बन रहा हकीकत
जींद रेलवे स्टेशन पर बन रहे हाइड्रोजन प्लांट का काम तेजी से चल रहा है। यह प्लांट 2025 तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। ट्रेन के ट्रायल रन मार्च 2025 तक शुरू होने की उम्मीद है। हाइड्रोजन ट्रेनें यात्रियों को न केवल प्रदूषण रहित सफर देंगी, बल्कि इसमें अन्य मॉडर्न फीचर्स (Modern Features) भी होंगे। जैसे- वाई-फाई, चार्जिंग पॉइंट्स, आरामदायक सीटें और पैनोरमिक व्यू।