खुशखबरी! अब इन वाहन चालकों को नहीं देना होगा टोल टैक्स, नितिन गडकरी ने लिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने वाहन चालकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी दी है। अब हाईवे और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर तक का सफर टोल-फ्री होगा बशर्ते आपकी गाड़ी में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) ऑन-बोर्ड यूनिट लगी हो। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम 2008 में संशोधन करते हुए यह नया नियम लागू किया है।
GNSS क्या बला है?
GNSS, यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, एक सैटेलाइट-बेस्ड तकनीक है जो आपके वाहन की लोकेशन को ट्रैक करती है। इसकी मदद से आपकी गाड़ी ने कितनी दूरी तय की है, इसका पता चलता है, और उसी के आधार पर टोल शुल्क वसूला जाता है। यानि, जितना चलोगे, उतना ही पैसा कटेगा।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
नए नियम के तहत, यदि आपकी गाड़ी में GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट लगी है, तो हाईवे या एक्सप्रेसवे पर पहले 20 किलोमीटर तक का सफर मुफ्त होगा। यदि आप 20 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करते हैं, तो अतिरिक्त दूरी के लिए टोल शुल्क लिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा है कि GNSS-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को कुछ चुनिंदा टोल गेट्स पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा।
किसे मिलेगा फायदा?
इस नए नियम का सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो रोजाना कम दूरी के लिए हाईवे या एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका ऑफिस या घर टोल प्लाजा से 20 किलोमीटर के अंदर है, तो अब आपको टोल टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, यह सुविधा केवल उन वाहनों के लिए है जिनमें GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट लगी होगी।
कैसे लगवाएं GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट?
GNSS ऑन-बोर्ड यूनिट को अपनी गाड़ी में लगवाने के लिए आपको अधिकृत डीलर या सर्विस सेंटर से संपर्क करना होगा। यह यूनिट आपकी गाड़ी की लोकेशन और दूरी को ट्रैक करेगी, जिससे टोल शुल्क स्वचालित रूप से आपके बैंक खाते से कट जाएगा। यह प्रक्रिया फास्टैग की तरह ही होगी, लेकिन इसमें सैटेलाइट तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
कब से होगा लागू?
फिलहाल, यह प्रणाली पूरे देश में लागू नहीं हुई है। सरकार इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर्नाटक के नेशनल हाईवे 275 (बेंगलुरु-मैसूर) और हरियाणा के नेशनल हाईवे 709 (पानीपत-हिसार) पर लागू कर रही है। यदि यह सफल रहता है, तो इसे देश के अन्य हाईवे पर भी लागू किया जाएगा।