प्याज की कीमतों में गिरावट और किसानों के बढ़ते विरोध को देखते हुए महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज की नीलामी अस्थायी रूप से रोक दी गई है। इस कदम से मंडी के व्यापारियों और किसानों के बीच हलचल मच गई है। एग्रीकल्चर प्रोडक्शन मार्केट कमिटी (APMC) के अधिकारियों के अनुसार, किसानों को उनके प्याज के उचित मूल्य नहीं मिल रहे थे, जिससे वे नाराज हो गए।
गिरती प्याज की कीमतों से नाराज किसान
प्याज की नीलामी में हो रही गिरावट की वजह से किसानों का नुकसान बढ़ रहा था। पिछले कुछ दिनों से प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट आई है। लासलगांव मंडी में गुरुवार को लगभग 1500 गाड़ियां प्याज लेकर पहुंचीं। लेकिन नीलामी में न्यूनतम 800 रुपये और अधिकतम 2900 रुपये प्रति क्विंटल की दरों पर तय की गई। इसके अलावा औसतन कीमत 1900 रुपये प्रति क्विंटल रही। वहीं, नीलामी शुरू होते ही कीमतों में 1200 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई, जिससे किसान और व्यापारियों में असंतोष बढ़ गया। इस स्थिति ने किसानों को नीलामी रोकने के लिए मजबूर कर दिया।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने अपनी नाराजगी जताते हुए कई महत्वपूर्ण मांगें की हैं। उनका मुख्य मुद्दा प्याज पर लगाए गए 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को हटाने का है। किसान मानते हैं कि इस शुल्क की वजह से प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिससे उनका वित्तीय नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने प्रति क्विंटल ₹1000 से ₹1200 तक की सहायता राशि की मांग की है ताकि उन्हें कम से कम अपनी उत्पादन लागत का कुछ हिस्सा मिल सके।
उपमुख्यमंत्री ने केंद्र से की अपील
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर किसानों की समस्याओं को हल करने की अपील की। पवार ने इस पत्र में बताया कि नासिक में उगाए गए प्याज का निर्यात देशभर में किया जाता है और इसके जरिए भारत के विभिन्न हिस्सों में प्याज की आपूर्ति होती है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में मंडियों में नई फसल की आवक हो रही है, जिससे बाजार में प्याज का स्टॉक बढ़ गया है और कीमतें गिर गई हैं। पवार ने आगे कहा कि किसानों को अब उत्पादन लागत से भी कम कीमत मिल रही है, जो उन्हें भारी नुकसान में डाल रही है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग
उपमुख्यमंत्री ने इस पत्र में प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की भी मांग की है। उनका कहना है कि प्याज किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है, और अगर इसे उचित मूल्य नहीं मिलेगा, तो यह उनके लिए आर्थिक संकट पैदा करेगा। सरकार से उनकी यह अपील की है कि वह प्याज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करके किसानों को राहत प्रदान करें।
राज्य सरकार की भूमिका
राज्य सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर सरकार ने पहले ही कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है। अब, महाराष्ट्र सरकार इस स्थिति को सुलझाने के लिए केंद्रीय सरकार से समर्थन मांग रही है। राज्य सरकार का मानना है कि अगर प्याज की कीमतों में सुधार नहीं हुआ, तो किसानों का आक्रोश और बढ़ सकता है, जो पूरे राज्य में एक बड़ा संकट उत्पन्न कर सकता है।