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सिरसा में नशीले पदार्थों की तस्करी पर प्रशासन के दावे जुमले साबित, अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

सिरसा जिले में नशीले पदार्थों की तस्करी पर पुलिस प्रशासन के कड़े दावों के बावजूद नशे के कारोबार पर काबू पाने की कोशिशें सवालों के घेरे में हैं। हाल ही में यहां मादक पदार्थों के तस्करों के हौसले और प्रशासन की नाकामी ने एक नई समस्या को जन्म दिया है। नशीली दवाओं के खिलाफ तैनात की गई टीम के कुछ अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं जो सरकार और प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

नशीली गोलियों की बड़ी खेप पकड़ी गई

रानियां में अढ़ाई महीने पहले नशीली दवाओं की एक बड़ी खेप पकड़ी गई थी। इस मामले में हजारों नशीली गोलियां बरामद की गई जिनके 10 डिब्बे मिले थे। इस घटना के मीडिया में आने के बाद खुफिया विभाग, सीएम फ्लाइंग, आईजी स्टाफ और नारकोटिक सेल में अफरा-तफरी मच गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जवाब तलब किया लेकिन कार्रवाई में देरी और ठोस परिणाम न निकलने से कई सवाल उठने लगे हैं।

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पुलिस के लिए बनी मुश्किल

यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। नशीली गोलियों के हजारों डिब्बे जब पकड़े गए तो इस मामले में आरोपी को छोड़ दिए जाने की खबरें सामने आईं। मीडिया में यह खबर फैलने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए। हालांकि न तो आरोपी की पहचान हो पाई है और न ही यह स्पष्ट हो पाया है कि उसे क्यों छोड़ा गया। विभाग ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया लेकिन जांच के परिणाम अब तक सामने नहीं आ पाए हैं।

विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

एसआईटी का गठन कर ऐलनाबाद के डीएसपी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया लेकिन घटना को दो महीने से अधिक समय हो चुका है और अभी तक विभाग को कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। इस पूरी घटना ने पुलिस और अन्य विभागों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर उन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं जो इस मामले से जुड़ी कार्रवाई में शामिल थे।

पुलिस के उच्च अधिकारियों ने स्थिति पर संज्ञान लिया लेकिन कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई में गंभीर कमी है। पुलिस विभाग में कुछ काली भेड़ों की मौजूदगी भी इस मामले की जटिलता को बढ़ा रही है। ऐसे अधिकारियों का पर्दाफाश किए बिना नशीले पदार्थों के कारोबार पर पूरी तरह से काबू पाना मुश्किल है।

युवाओं का भविष्य संकट में

रानियां और आसपास के क्षेत्रों में नशीली दवाओं की तस्करी ने युवा वर्ग के भविष्य को अंधकार में डाल दिया है। जो युवा इस नशीले पदार्थों के जाल में फंस जाते हैं उनका जीवन न केवल बर्बाद हो जाता है बल्कि समाज पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त लोग न केवल कानून को चुनौती देते हैं बल्कि वे पूरे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

इसलिए पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे तस्करी के इन नेटवर्क को सख्ती से नष्ट करें और युवाओं को इस गहरे अंधकार से बचाएं। यह तभी संभव है जब पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई और नशीली पदार्थों के कारोबार में शामिल कुछ अधिकारियों की भूमिका पर गहरी नजर रखी जाए।

मीडिया और पुलिस के बीच संघर्ष

इस मामले में मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है क्योंकि बार-बार इस मामले की जानकारी हासिल करने के लिए मीडिया ने पुलिस प्रशासन से संपर्क किया लेकिन कोई ठोस उत्तर नहीं मिला। पुलिस के पास इस बात का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है कि वे उन दागी अधिकारियों का पर्दाफाश कर सकें जो विभाग के भीतर भ्रष्टाचार और गलत कार्रवाई कर रहे हैं। यह स्थिति प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचा रही है और नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रही है।

पुलिस प्रवक्ता सुरजीत सहारण के अनुसार एसआईटी की जांच अभी भी चल रही है लेकिन जांच कब तक पूरी होगी, इसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई।

Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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