सिबिल स्कोर विवाद: सांसद कार्ति चिदंबरम ने उठाए बैंकिंग सिस्टम पर सवाल
सिबिल स्कोर आपके पहले लिए गए लोन, क्रेडिट कार्ड उपयोग और समय पर भुगतान की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप नियमित रूप से अपनी ईएमआई (EMI) चुकाते हैं, तो आपका स्कोर अच्छा रहता है। वहीं, भुगतान में देरी या लोन डिफॉल्ट से आपका स्कोर खराब हो सकता है।
संसद में प्रमुख मुद्दा था सिबिल स्कोर (CIBIL Score) जिस पर सांसद कार्ति चिदंबरम ने सवाल उठाए। उन्होंने बैंकों में लोन देने की प्रक्रिया और इसके पीछे सिबिल स्कोर की भूमिका पर गंभीर सवाल किए। उनके मुताबिक यह प्रणाली आम आदमी के लिए पारदर्शी नहीं है और इसे सुधारने की जरूरत है।
क्या है सिबिल स्कोर?
सिबिल स्कोर एक तीन अंकों का स्कोर है, जो 300 से 900 तक होता है। यह स्कोर आपके बैंक लेन-देन और क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है। अगर आपका स्कोर 750 या उससे अधिक है, तो इसे अच्छा माना जाता है। वहीं, 600 से कम स्कोर वालों को बैंक आसानी से लोन नहीं देते।
सिबिल स्कोर आपके पहले लिए गए लोन, क्रेडिट कार्ड उपयोग और समय पर भुगतान की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप नियमित रूप से अपनी ईएमआई (EMI) चुकाते हैं तो आपका स्कोर अच्छा रहता है। वहीं, भुगतान में देरी या लोन डिफॉल्ट से आपका स्कोर खराब हो सकता है।
सिबिल स्कोर कैसे होता है कम?
सिबिल स्कोर कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- समय पर लोन या क्रेडिट कार्ड का भुगतान न करना।
- बार-बार लोन के लिए आवेदन करना।
- क्रेडिट लिमिट का बार-बार इस्तेमाल करना।
- लोन डिफॉल्ट या चेक बाउंस।
कम सिबिल स्कोर का मतलब है कि आपको बैंक से लोन मिलना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में लोग निजी उधारदाताओं से पैसा लेने पर मजबूर होते हैं, जहां ब्याज दरें बेहद अधिक होती हैं।
कौन करता है सिबिल स्कोर का निर्धारण?
सिबिल स्कोर को क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) नाम की एक संस्था तय करती है। यह निजी कंपनी है, जिसका गठन साल 2000 में हुआ था। इसे आरबीआई (RBI) की सिफारिश पर बनाया गया। 2003 में इसका विलय अमेरिका की कंपनी ट्रांस यूनियन में हो गया और इसका नाम बदलकर ट्रांस यूनियन सिबिल लिमिटेड रखा गया।
यह संस्था 60 करोड़ से अधिक भारतीयों का सिबिल स्कोर तय करती है। हर बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देने से पहले इसी स्कोर पर भरोसा करते हैं।
सांसद के सवाल: क्या सरकारी एजेंसी जरूरी है?
सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि सिबिल स्कोर का निर्धारण एक निजी कंपनी द्वारा किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने आरबीआई से मांग की कि इस काम के लिए एक सरकारी एजेंसी बनाई जाए। उनका कहना था कि सिबिल स्कोर प्रणाली में पारदर्शिता की कमी है और कई बार गलत स्कोरिंग से आम आदमी को नुकसान उठाना पड़ता है।
सिबिल स्कोर विवाद क्यों?
सिबिल स्कोर पहले भी विवादों में रहा है। कई बार लोग शिकायत करते हैं कि उनकी क्रेडिट हिस्ट्री सही होने के बावजूद उनका स्कोर कम है। इसके कारण उन्हें लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पाता। सांसद चिदंबरम का कहना है कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है कि इसे सरकारी संस्थाओं के अधीन लाया जाए।