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Edible Oil Price: नए से पहले सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल में भारी गिरावट, देखें आज की नई कीमतें

विशेषज्ञों के अनुसार मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में हालिया गिरावट ने घरेलू बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। शिकागो में शनिवार रात भारी गिरावट से वायदा कारोबार कमजोर पड़ा।

Edible Oil Price Update: देशभर के प्रमुख बाजारों में रविवार को तिलहन और खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। कपास की नई फसल (cotton new crop) की आवक के साथ बिनौला की कीमतों में गिरावट (cottonseed price) ने बाजार की धारणा पर गहरा असर डाला है। इसके कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पाम तेल (सीपीओ), पाम ओलीन तेल और बिनौला तेल जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में कमी देखी गई।

कपास खली और वैश्विक बाजारों की भूमिका

विशेषज्ञों के अनुसार मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में हालिया गिरावट ने घरेलू बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। शिकागो में शनिवार रात भारी गिरावट से वायदा कारोबार कमजोर पड़ा। इसके अलावा कपास खली की कीमतें (cottonseed cake price) भी कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद के बावजूद कम हो रही हैं। प्रमुख संस्थाएं स्टॉक बनाए रखने के बजाय बीज को लागत से कम कीमत पर बेच रही हैं जिससे कपास खली की कीमतों में तेज गिरावट आई है।

कपास खली और तिलहन बाजार में असंतुलन

भारत में कपास खली की वार्षिक खपत लगभग 1.3 करोड़ टन है। इसकी कीमतों में गिरावट ने न केवल कपास से जुड़े उद्योगों पर दबाव बढ़ाया है बल्कि अन्य तिलहन उत्पादों की कीमतों को भी प्रभावित किया है। वायदा बाजार में सौदे तय मात्रा में स्टॉक द्वारा समर्थित नहीं हैं जो बाजार असंतुलन का कारण बन रहा है।

उत्पादन में गिरावट के बावजूद कीमतों में कमी

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cotton Association of India) के मुताबिक इस साल कपास उत्पादन में कमी आई है। इसके बावजूद कपास खली की वायदा कीमतों में गिरावट देखना उद्योग के लिए चिंता का विषय है। यह स्थिति भारत की तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य पर सवाल खड़ा करती है।

वायदा कारोबार पर नियंत्रण की मांग

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वायदा कारोबार के कारण कीमतों में अस्थिरता बढ़ रही है। उनका सुझाव है कि तिलहन को वायदा कारोबार से बाहर रखा जाना चाहिए जिससे किसानों को शोषण से बचाया जा सके और बाजार में स्थिरता लाई जा सके।

मूल्य गतिशीलता में बदलाव

करीब एक दशक पहले कपास खली की कीमत मक्के से लगभग दोगुनी थी। उस समय मक्के की कीमत 10-12 रुपये प्रति किलो थी जबकि कपास खली की कीमत 23-24 रुपये प्रति किलो थी। आज मक्के की कीमत 27-28 रुपये प्रति किलो है जबकि कपास खली की कीमत 26 रुपये प्रति किलो है। यह बदलाव न केवल उत्पादन में कमी को दर्शाता है बल्कि बाजार की बदलती प्राथमिकताओं को भी उजागर करता है।

खाद्य तेल और तिलहन कीमतों पर असर

खाद्य तेल और तिलहन बाजार भी इस अस्थिरता से अछूते नहीं रहे। रविवार को सरसों तिलहन, मूंगफली, सोयाबीन तेल और कच्चा पाम तेल सहित अन्य उत्पादों की कीमतों में कमी दर्ज की गई।

उत्पादमूल्य सीमा (₹/क्विंटल)
सरसों तिलहन6,450 – 6,500
मूंगफली5,900 – 6,225
मूंगफली तेल (रिफाइंड)2,150 – 2,450 (प्रति टिन)
सीपीओ12,800
पामोलीन (दिल्ली)14,050

किसानों और उद्योगों के लिए चिंता

कपास खली की कीमतों में गिरावट और तिलहन की अस्थिर कीमतें किसानों और उद्योग दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में इन वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप आवश्यक है।

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