Sarso Tel : सरसों और सोयाबीन तेल के भाव गिरे, जानें लेटेस्ट प्राइस
खाद्य तेलों के दाम कम होने की मुख्य वजह खरमास (Kharmas) मानी जा रही है। इस दौरान शादी और धार्मिक कार्यक्रम (religious events) नहीं होने से तेल की मांग (oil demand) में कमी आई है। व्यापारियों के अनुसार, इस समय सरसों तेल और सोयाबीन तेल किफायती दामों में बाजार में उपलब्ध हैं।
Sarso Tel Bhav : सर्दी के मौसम में खाने-पीने की चीजों के बढ़ते दामों के बीच सरसों और सोयाबीन तेल (mustard and soybean oil prices) के दामों में गिरावट आई है। ऐसे में यह खबर आम जनता के लिए राहतभरी साबित हो सकती है। बाजार में सरसों और सोयाबीन तेल (edible oil market) के रेट लगातार कम हो रहे हैं। खासतौर पर जिन परिवारों में खाना पकाने के लिए इन तेलों का इस्तेमाल होता है, उनके रसोई बजट में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।
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तेल की कीमतों में गिरावट के कारण
खाद्य तेलों की कीमतों में कमी का बड़ा कारण खरमास है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय चल रहा है। इस दौरान विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक रहती है, जिससे तेल की मांग में कमी आती है। व्यापारियों का कहना है कि 14 जनवरी के बाद खरमास खत्म होने पर मांगलिक कार्य (auspicious events) और धार्मिक आयोजनों की संख्या बढ़ेगी, जिससे तेल के दाम फिर से बढ़ सकते हैं।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार (international market) में भी खाद्य तेलों के दाम स्थिर हैं, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और तेल के दाम फिर से बढ़ सकते हैं।
सरसों और सोयाबीन तेल के लेटेस्ट दाम
बाजार के आंकड़ों के अनुसार, सरसों और सोयाबीन तेल (mustard and soybean oil) के दाम पिछले हफ्ते की तुलना में 20-25 रुपये प्रति लीटर तक कम हो गए हैं। सोयाबीन तेल, जो पहले 132 से 142 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था, अब 119 रुपये प्रति लीटर के आसपास मिल रहा है।
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सरसों तेल (mustard oil) के प्रमुख ब्रांड्स में भी 10-15 रुपये प्रति लीटर की कमी देखी गई है। इसके साथ ही सनफ्लावर तेल (sunflower oil price) जो पहले 165-171 रुपये प्रति लीटर था, अब 160 रुपये प्रति लीटर के करीब मिल रहा है।
खुदरा बाजार में भी राहत
थोक बाजार (wholesale market) के साथ-साथ खुदरा बाजार में भी तेल की कीमतों में कमी दर्ज की गई है। सरसों तेल के अलावा सोयाबीन तेल (retail prices of oil) भी 20-22 रुपये तक सस्ता हो गया है। आने वाले दिनों में तेल की कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है।
बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य तेलों के दामों में यह गिरावट उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देने वाली है। महंगाई के दौर में तेल के दाम कम होना एक अच्छा संकेत है।
सर्दी के मौसम में बढ़ती खाद्य तेलों की मांग
सर्दियों में खाद्य तेलों (edible oil) की मांग सामान्य से अधिक हो जाती है। इस समय तली-भुनी चीजों और व्यंजनों का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे तेल की खपत अधिक होती है। हालांकि, इस बार तेल के दामों में गिरावट ने रसोई बजट पर सकारात्मक असर डाला है।
सर्दी के मौसम में तेलों की बढ़ी हुई उपयोगिता (oil utility) के बावजूद बाजार में मांग कम होने के कारण यह गिरावट देखने को मिल रही है। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए बजट को संतुलित रखने में सहायक साबित हो रही है।
आने वाले दिनों में क्या होगा?
14 जनवरी के बाद जब खरमास समाप्त होगा, तब शादी और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। इसके चलते तेल की मांग में तेजी आने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तेजी सरसों और सोयाबीन तेल (sarso aur soyabean oil) के दामों को फिर से बढ़ा सकती है।