RBI Home Loan Guidelines : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन पर ब्याज वसूली के तरीकों में गड़बड़ी को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों से जहां ग्राहकों को राहत मिलेगी वहीं बैंकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आरबीआई ने पाया कि कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान लोन पर ब्याज वसूली में अनियमितताएं कर रहे थे जिसके बाद यह सख्त कदम उठाया गया।
लोन ब्याज वसूली की नई प्रक्रिया
आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब लोन देने वाले सभी बैंक और संस्थानों को लोन पर ब्याज वसूलने के लिए वास्तविक धनराशि वितरण की तारीख को आधार मानना होगा। यानी, ग्राहक से ब्याज उसी दिन से वसूला जाएगा जब लोन की राशि उसके खाते में पहुंच जाएगी।
आरबीआई ने अपने निरीक्षण में पाया कि कुछ बैंक लोन मंजूर होने की तारीख से ही ब्याज वसूल रहे थे। इसके अलावा कई मामलों में चेक के माध्यम से लोन वितरण के बाद भी ब्याज वसूली चेक जारी होने की तारीख से शुरू की जा रही थी जबकि ग्राहक को चेक बाद में सौंपा गया। अब आरबीआई ने बैंकों को चेक जारी करने के बजाय डिजिटल माध्यम से लोन वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
प्रमुख बैंकों की प्रोसेसिंग फीस
नई गाइडलाइन के बाद ग्राहक यह जानने के इच्छुक हैं कि उनके लोन पर कौन-कौन से शुल्क लागू होते हैं। देश के बड़े बैंकों की प्रोसेसिंग फीस का विवरण इस प्रकार है:
भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
एसबीआई होम लोन की प्रोसेसिंग फीस लोन राशि का 0.35% प्लस लागू जीएसटी वसूलता है। न्यूनतम शुल्क 2,000 रुपये प्लस जीएसटी और अधिकतम 10,000 रुपये प्लस जीएसटी है।
एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank)
एचडीएफसी बैंक प्रोसेसिंग फीस के तौर पर लोन की राशि का अधिकतम 1% और न्यूनतम 7,500 रुपये वसूलता है। यह शुल्क लोन की राशि के आधार पर तय होता है।
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank)
आईसीआईसीआई बैंक प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लोन राशि का 0.50% से 2% या न्यूनतम 3,000 रुपये, जो भी अधिक हो, वसूलता है।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
पंजाब नेशनल बैंक अपने ग्राहकों से प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में लोन राशि का 1% + लागू जीएसटी वसूलता है।
ग्राहकों के लिए क्या है फायदा?
आरबीआई के इस कदम से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। अब लोन का ब्याज उसी दिन से वसूला जाएगा जब लोन की राशि उनके खाते में पहुंच जाएगी। इससे अनावश्यक ब्याज भुगतान का बोझ खत्म होगा।
बैंकों को हो सकता है आर्थिक नुकसान
हालांकि बैंकों के लिए यह फैसला नुकसानदायक साबित हो सकता है। प्रोसेसिंग फीस और ब्याज की तारीख में बदलाव से कई सौ करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है। यह फैसला खासतौर पर उन बैंकों पर असर डालेगा जो पहले से ही लोन मंजूरी की तारीख से ब्याज वसूल रहे थे।
आरबीआई की सख्ती क्यों?
आरबीआई के अनुसार लोन वितरण में पारदर्शिता और ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। निरीक्षण में यह पाया गया कि कई बैंक ग्राहकों को उनकी जानकारी के बिना अतिरिक्त ब्याज वसूल रहे थे। अब नए नियमों के तहत सभी वित्तीय संस्थानों को डिजिटल माध्यम से लोन वितरण और ब्याज वसूली में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।