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माता-पिता को बेसहारा छोड़ने वाले बच्चों को झटका, Supreme Court ने संपत्ति पर दिया बड़ा अपडेट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 (Senior Citizens Act, 2007) के तहत लागू होगा।

Supreme Court: पारिवारिक संपत्ति (Family Property) को लेकर माता-पिता और बच्चों के बीच अक्सर विवाद देखने को मिलता है। कई बार बच्चे संपत्ति पर अपना अधिकार (Ownership) चाहते हैं, जबकि माता-पिता अपने जीवनभर की मेहनत से अर्जित संपत्ति पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं। इस पारिवारिक तनाव के चलते माता-पिता अपनी संपत्ति बच्चों के नाम हस्तांतरित कर देते हैं लेकिन इसके बाद बच्चों द्वारा माता-पिता की उपेक्षा की घटनाएं आम हो जाती हैं। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते, तो माता-पिता उनकी नामांतरण की गई संपत्ति को वापस ले सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 (Senior Citizens Act, 2007) के तहत लागू होगा। यह फैसला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को पलटते हुए दिया गया, जिसमें कहा गया था कि अगर उपहार विलेख (Gift Deed) में शर्तों का उल्लेख नहीं किया गया है, तो इसे रद्द नहीं किया जा सकता।

संपत्ति हस्तांतरण पर शर्तें होंगी महत्वपूर्ण

इस ऐतिहासिक फैसले में कोर्ट ने कहा कि माता-पिता द्वारा अपनी संपत्ति बच्चों को उपहार के रूप में देते समय यह शर्त जोड़ी जा सकती है कि बच्चे उनकी देखभाल करेंगे और बुनियादी जरूरतें पूरी करेंगे। यदि बच्चे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो संपत्ति का हस्तांतरण रद्द किया जा सकता है। कोर्ट ने इसे लाभकारी अधिनियम बताया, जिसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति सशक्त बनाना है।

न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार और संजय करोल की पीठ ने इस मामले में कहा कि “वरिष्ठ नागरिक अधिनियम” के प्रावधानों की व्याख्या करते समय इसे संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। यह अधिनियम उन बुजुर्गों के लिए बनाया गया है, जो संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) के कमजोर होने के कारण अकेले रह गए हैं।

माता-पिता की सेवा नहीं करने पर बच्चों की संपत्ति जब्त

देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां बच्चे संपत्ति हासिल करने के बाद माता-पिता की देखभाल करना बंद कर देते हैं। वे न केवल उनकी उपेक्षा करते हैं, बल्कि कई बार उन्हें अकेला भी छोड़ देते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, अब ऐसा करना आसान नहीं होगा।

इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर बच्चे माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं करते, तो माता-पिता को यह अधिकार होगा कि वे संपत्ति का हस्तांतरण (Transfer of Property) रद्द करवा सकें। यह फैसला माता-पिता के हितों को सुरक्षित रखने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून का उद्देश्य केवल कानूनी पहलुओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका मानवीय पक्ष भी महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का उद्देश्य बुजुर्ग माता-पिता को उनकी जीवन की गरिमा बनाए रखने में मदद करना है। कोर्ट के अनुसार, संपत्ति का हस्तांतरण केवल तभी वैध होगा, जब बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी पूरी करेंगे। यदि वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो माता-पिता को संपत्ति वापस पाने का पूरा अधिकार होगा।

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