Chana Dal Price : दाल की बढ़ती हुई कीमतों ने बिगाड़ा रसोई का बजट, अब नमकीन खाने वालों पर पड़ेगा सीधा फर्क
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चना उत्पादक है और दुनिया के कुल चना उत्पादन में लगभग 70 फीसदी की हिस्सेदारी भारत की है। भारत की कुल दलहन फसलों में अकेले 45 फीसदी की हिस्सेदारी चने की है।
Chana Daal Price : दालों की बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। राजधानी दिल्ली में चने का भाव सात हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है। इस बढ़ोतरी के कारण अब लोगों को बेसन और उससे बनने वाली नमकीन की महंगाई का भी सामना करना पड़ सकता है। दालें भारतीय रसोई का अहम हिस्सा हैं और उनकी कीमतों में बढ़ोतरी सीधे तौर पर घरेलू बजट पर असर डालती है।
चने की कीमतों में उछाल
बाजार के जानकारों का कहना है कि करीब दो साल के बाद देश की राजधानी दिल्ली में चने का भाव सात हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है। आवक घटने और अनुमान की तुलना में उत्पादन कमजोर होने की वजह से दाल के दाम में बढ़ोतरी हुई है। गुरुवार को दिल्ली में मध्यप्रदेश के चने में 7,025-7,050 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार दर्ज किया गया। वहीं राजस्थान के चने में 7,075-7,100 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार हुआ।
इंपोर्ट ड्यूटी में छूट का असर
सरकार ने चार मई को चने के इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को हटाकर शून्य कर दिया था। उस समय दिल्ली में चने की राजस्थान वैरायटी का भाव 6,350 रुपये प्रति क्विंटल और मध्यप्रदेश वैरायटी का भाव 6,325 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास था। उस समय से अब तक कीमतों में दस फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
भारत का चना उत्पादन
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चना उत्पादक है और दुनिया के कुल चना उत्पादन में लगभग 70 फीसदी की हिस्सेदारी भारत की है। भारत की कुल दलहन फसलों में अकेले 45 फीसदी की हिस्सेदारी चने की है। इस दृष्टिकोण से भारत में चने की कीमतों का असर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी पड़ता है।
आम आदमी पर असर
चने की कीमतों में वृद्धि से आम आदमी के बजट पर सीधा असर पड़ता है। बेसन, जो चने से तैयार होता है, के दाम बढ़ने से नमकीन, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ भी महंगे हो जाएंगे। इससे घरेलू खर्च बढ़ेगा और लोगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
सरकार की जिम्मेदारी
महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने होंगे। चने की फसल को बढ़ावा देने और उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना होगा। इसके साथ ही दालों के इंपोर्ट को सरल बनाने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भी प्रयास करने होंगे।