Government Employees: सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति के लिए तय की नई शर्तें
Government Employees: सरकार ने हाल ही में सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति के लिए नए नियम और शर्तें तय की हैं। प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को विशेष पदों पर पुनर्नियुक्त किया जा सकता है जहां नियमित रिक्तियां नहीं हैं। इन पदों के लिए पारिश्रमिक अंतिम प्राप्त मूल वेतन का 50 फीसदी होगा।
कार्यकाल और अनुबंध
पुनर्नियुक्ति का कार्यकाल एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अनुबंध समाप्त होने से पहले भी सरकार इसे समाप्त कर सकती है। यह सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारियों का प्रदर्शन और आचरण संतोषजनक रहे और आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर समीक्षा की जा सके।
पारिश्रमिक और भत्ते
पुनर्नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को पारिश्रमिक पर महंगाई भत्ता देय नहीं होगा। इसके अलावा, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए लागू मानदंडों के अनुसार टीए (यात्रा भत्ता), डीए (महंगाई भत्ता) और छुट्टी के हकदार होंगे। इससे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से समर्थन मिलेगा और वे अपने कार्य को निष्पक्षता से कर सकेंगे।
चिकित्सा सुविधा
पुनर्नियुक्त कर्मचारियों को कोई चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को अपने स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को स्वयं वहन करना होगा। यह नियम सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है जिसे ध्यान में रखना आवश्यक है।
आवास सुविधा
यदि सेवानिवृत्त व्यक्ति के पास निरंतर सरकारी आवास है तो उसे बनाए रखा जा सकता है। इससे कर्मचारियों को आवास की चिंता नहीं होगी और वे अपने कार्य पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
असंतोषजनक प्रदर्शन या आचरण पर अनुबंध समाप्त किया जा सकता है। यह नियम सुनिश्चित करेगा कि पुनर्नियुक्त कर्मचारी अपने कार्य में पूर्ण समर्पण और ईमानदारी दिखाएं। प्रशासनिक विभाग समय-समय पर कर्मचारियों के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे।
वित्त विभाग से अनुमोदन
प्रशासनिक विभागों को हर प्रस्ताव के लिए वित्त विभाग से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। पुनर्नियोजित व्यक्तियों से संबंधित सभी व्यय आउटसोर्सिंग खाते के शीर्ष के अंतर्गत वहन किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी वित्तीय संसाधनों का उचित उपयोग हो और कोई अनावश्यक खर्च न हो।