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हरियाणा में दूसरे दिन भी जारी है डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं ठप, जानें क्या है मांगे

हरियाणा में कुल 159 सरकारी अस्पताल हैं जहां की ओपीडी में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की सुविधा भी बंद है जिससे उन्हें खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पोस्टमार्टम जैसी सेवाएं भी बंद हैं जिसके चलते कई जरूरी काम अटके हुए हैं।
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Indefinite strike of doctors
Indefinite strike of doctors

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की परेशानी लगातार दूसरे दिन भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश के 3 हजार सरकारी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं जिसके चलते इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। सरकार और सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के बीच करीब 6 घंटे तक चली दो दौर की बैठक के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल सका।

इमरजेंसी सेवाएं ठप

हरियाणा में कुल 159 सरकारी अस्पताल हैं जहां की ओपीडी में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की सुविधा भी बंद है जिससे उन्हें खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पोस्टमार्टम जैसी सेवाएं भी बंद हैं जिसके चलते कई जरूरी काम अटके हुए हैं।

सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों की भीड़ उमड़ रही है लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। गुरुवार को प्रदेश भर के सीएमओ और पीएमओ ने बीएमएस और आयुर्वेदिक डॉक्टरों की मदद से स्थिति को संभालने की कोशिश की लेकिन वे भी सीमित संसाधनों के साथ अधिक मरीजों का इलाज करने में असमर्थ रहे।

सरकार की पहल

सरकार ने हड़ताल के पहले ही दिन मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों को बुलाकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में हरियाणा नागरिक चिकित्सा सेवा संघ (HCMS) के साथ बैठक की। पहले दौर की बैठक करीब 4 घंटे तक चली, इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव सुधीर राजपाल के साथ देर रात दो घंटे तक बैठक हुई।

डॉक्टरों की मुख्य मांगें

डॉक्टरों की हड़ताल के पीछे उनकी मुख्य मांगें हैं जिनमें सेवा में रहते हुए पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) करने के लिए एक-एक करोड़ रुपये के दो बॉन्ड भरने की शर्त है जबकि पहले यह राशि 50 लाख रुपये थी। डॉक्टरों की मांग है कि यह राशि पहले की तरह 50 लाख रुपये की जाए। इसके अलावा सीनियर मेडिकल ऑफिसर (एसएमओ) को सीधी भर्ती के बजाय प्रमोशन के जरिए बनाया जाए।

डॉक्टरों की एक और मांग यह है कि वर्तमान में एश्योर्ड करियर प्रमोशन (एसीपी) 5, 10, 15 साल में दिया जाता है इसे 4, 9, 13 साल की सेवा पर एसीपी दिया जाए। साथ ही एसोसिएशन डॉक्टरों के लिए स्पेशलिस्ट कैडर बनाने की भी मांग कर रही है।

सरकार ने विशेषज्ञ कैडर बनाने और एसएमओ की सीधी भर्ती न करने पर सहमति जताई लेकिन HCMS पदाधिकारी लिखित में आदेश जारी करने की मांग पर अड़े रहे। बांड की राशि को घटाकर 50 लाख रुपये करने के लिखित आदेश जारी कर दिए गए हैं लेकिन एश्योर्ड करियर प्रमोशन (एसीपी) को लेकर पेच फंस गया है।

हड़ताल का असर

हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को भी प्रदेशभर के अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए भटकते नजर आए। कई अस्पतालों में मरीजों की भीड़ जमा हो गई है लेकिन डॉक्टरों के अभाव में उन्हें निराशा ही हाथ लगी। सरकार और एसोसिएशन के बीच बातचीत का कोई समाधान नहीं निकलने के कारण स्थिति और बिगड़ती जा रही है।

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