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शादीशुदा महिलाओं को संपत्ति में हक चाहिए? तो तुरंत बनवाएं ये जरूरी सर्टिफिकेट

Do married women want property rights? Then get this necessary certificate made immediately

भारत में महिलाओं को संपत्ति में उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कई कानूनी प्रावधान मौजूद हैं लेकिन इनका लाभ उठाने के लिए कुछ दस्तावेजों का होना आवश्यक है। इनमें सबसे अहम है मैरिज सर्टिफिकेट। यह केवल कानूनी मान्यता का प्रमाण नहीं बल्कि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है। आइए जानते हैं मैरिज सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है और इसके न होने से क्या नुकसान हो सकते हैं।

प्रॉपर्टी अधिकारों में मैरिज सर्टिफिकेट की भूमिका

शादीशुदा महिलाओं के लिए मैरिज सर्टिफिकेट केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह उनके कानूनी अधिकारों का आधार है। यदि महिला के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है तो पति की मृत्यु के बाद संपत्ति में उनका अधिकार साबित करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा ससुराल पक्ष द्वारा शादी को अवैध घोषित करके महिला को संपत्ति के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।

पति की मृत्यु के बाद संपत्ति अधिकार की सुरक्षा

अगर शादी का पंजीकरण नहीं हुआ है तो पति की संपत्ति पर महिला का दावा कमजोर हो सकता है। कई बार ससुराल पक्ष शादी को मान्यता न देकर महिला को संपत्ति से बाहर कर सकता है।

कानूनी विवदों में सहायता

मैरिज सर्टिफिकेट घरेलू हिंसा, अत्याचार या वैवाहिक बलात्कार जैसे मामलों में कानूनी सहायता पाने का एक सशक्त आधार है। इसके बिना महिला को न्याय पाने में काफी कठिनाई हो सकती है।

अन्य कानूनी और सामाजिक लाभ

मैरिज सर्टिफिकेट केवल संपत्ति अधिकार तक सीमित नहीं है। यह महिला को कई अन्य कानूनी और सामाजिक लाभ प्रदान करता है।

पासपोर्ट और विदेश यात्रा में सहायक

पासपोर्ट बनवाने या विदेश में बसने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट का होना जरूरी है। इसके बिना, महिला को इन प्रक्रियाओं में कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन

बैंकिंग लेन-देन, संयुक्त खाता खोलने या लोन की प्रक्रिया में भी यह प्रमाणपत्र उपयोगी होता है। इसके अभाव में वित्तीय संस्थान महिला की वैवाहिक स्थिति पर सवाल उठा सकते हैं।

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन का महत्व

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा-8 के तहत हिंदू विवाह का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। हालांकि यह हर राज्य में अनिवार्य नहीं है। हिंदू विवाह की वैधता उनके रीति-रिवाजों पर आधारित होती है जैसे सात फेरे और मंगलसूत्र पहनना। बावजूद इसके शादी का पंजीकरण महिलाओं को कानूनी सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करता है।

रजिस्ट्रेशन न कराने के नुकसान

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार शादी का पंजीकरण न कराने से विवाह की वैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन इससे कई व्यावहारिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:

  • घरेलू हिंसा या वैवाहिक विवादों में केस दर्ज कराने में कठिनाई।
  • पासपोर्ट या वीज़ा प्रक्रियाओं में रुकावट।
  • संपत्ति विवाद में महिला का दावा कमजोर होना।

शादीशुदा महिलाओं के लिए खास सुझाव

शादीशुदा महिलाओं को चाहिए कि वे अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए जल्द से जल्द मैरिज सर्टिफिकेट बनवाएं। खासकर वे महिलाएं जो अपना सरनेम नहीं बदलतीं, उनके लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज

शादी का पंजीकरण कराने के लिए निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

  • शादी की तस्वीरें।
  • शादी का निमंत्रण पत्र।
  • पति-पत्नी का पहचान पत्र।
  • दो गवाहों की उपस्थिति।

किसके लिए अनिवार्य है?

भले ही शादी किसी भी धर्म के रीति-रिवाजों से हुई हो सभी विवाहित महिलाओं के लिए यह प्रमाणपत्र समान रूप से महत्वपूर्ण है।

Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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