बड़े घरों की बहुओं के बीच बढ़ते झगड़े, 3 साल में 35% की बढ़ोतरी, जानिए कारण
उत्तर प्रदेश में एक नई समस्या उभर कर सामने आई है जो पारंपरिक सास-बहू के झगड़ों से कहीं ज्यादा बढ़कर है। हाल के तीन सालों में यह देखा गया है कि बड़े घरों की बहुएं (wives in affluent families) परिवार परामर्श केंद्रों में अपनी शिकायतें लेकर आ रही हैं, और उनकी शिकायतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। अब यह झगड़े सिर्फ घर के अंदर तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि इनकी जड़ें समाज के उच्च वर्ग तक फैल चुकी हैं, जहां शॉपिंग से लेकर गाड़ियों तक हर छोटी-बड़ी चीज़ को लेकर विवाद हो रहे हैं।
परिवार परामर्श केंद्र में दर्ज शिकायतों से यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति और व्यक्तिगत इच्छाएं इस बढ़ते झगड़े का कारण बन रही हैं। एक महिला का कहना है, “मेरे पति के पास 50 लाख की गाड़ी है, तो मैं क्यों 10 लाख की गाड़ी में चलूं? मुझे आगरा से नहीं, बाहर से शॉपिंग करनी है, क्योंकि यह मेरी इज्जत का सवाल है।”
यह बयान सिर्फ एक उदाहरण है, जो बड़े घरों की बहुओं के मन में चल रही असंतोष की भावना को दर्शाता है। ये झगड़े केवल व्यक्तिगत जरूरतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि एक समाजिक प्रतिस्पर्धा का रूप ले चुके हैं, जहां हर बहू को अपने पति की स्थिति और परिवार की प्रतिष्ठा के अनुसार खुद को साबित करना होता है।
अब तक यह देखा जाता था कि परिवार परामर्श केंद्रों में मुख्य रूप से मिडिल क्लास और लोअर क्लास के मामले आते थे। लेकिन अब उच्च वर्ग की महिलाएं भी इस प्लेटफार्म का हिस्सा बन रही हैं। पिछले कुछ सालों में इन मामलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आगरा शहर के एक परिवार परामर्श केंद्र में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, तीन सालों में झगड़ों के मामलों में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन मामलों में अधिकतर शिकायतें व्यापारियों, पुलिस अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों और बड़े व्यापारियों से संबंधित हैं।
परिवार परामर्श केंद्र में दर्ज शिकायतें
इन शिकायतों का कारण अक्सर परिवार के भीतर के व्यक्तिगत मतभेद होते हैं। कुछ महिलाएं शिकायत करती हैं कि उनके पतियों के पास महंगी गाड़ियां हैं, जबकि वे खुद सस्ती और सामान्य गाड़ी में यात्रा करती हैं। इसके अलावा, शॉपिंग, किटी पार्टियां, और पति-पत्नी के बीच के संबंधों में बदलाव भी एक बड़ा कारण बन रहे हैं।
कमलानगर के एक व्यापारी का उदाहरण लेते हुए, उनकी पत्नी ने शिकायत की कि उन्हें अपनी स्थिति के अनुसार ऑडी कार चाहिए, क्योंकि वह क्रेटा में नहीं चल सकती हैं। हालांकि, परिवार परामर्श केंद्र में तीन बार काउंसलिंग के बावजूद इस मुद्दे का हल नहीं निकला है। दूसरी ओर, सिकंदरा क्षेत्र में एक प्रशासनिक अधिकारी की पत्नी ने अपने पति के खिलाफ शिकायत की है। यह मामला पिछले तीन महीने से चल रहा है और इसे लेकर महिला ने पुलिस कमिश्नर तक शिकायत दर्ज कराई है।
महिलाओं के बीच सामाजिक प्रतिस्पर्धा
महिलाओं के बीच बढ़ते सामाजिक दबाव के कारण ये झगड़े और भी गंभीर होते जा रहे हैं। एक महिला का कहना है, “मेरे सहेलियां दिल्ली तक से शॉपिंग करती हैं, तो मुझे भी यही करना है, अन्यथा मैं नीची दिखूंगी।” समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और आत्मसम्मान की भावना महिला को न सिर्फ आर्थिक मामलों में बल्कि रिश्तों में भी असंतोष का शिकार बना रही है।
ऐसे मामलों में पति और पत्नी के बीच सामंजस्य का पूरी तरह से अभाव दिखाई दे रहा है। गाड़ी, शॉपिंग, पार्टियां, और एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स (extramarital affairs) जैसी समस्याएं अब झगड़ों का मुख्य कारण बन चुकी हैं। एक ओर जहां छोटे घरों में सामान्य कारणों से झगड़े होते थे, वहीं अब बड़े घरों में परिवार की प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थिति को लेकर विवाद हो रहे हैं।
कोरोना के बाद बढ़े मामले
कोरोना महामारी के बाद परिवार परामर्श केंद्रों में लंबित फाइलों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। 2020 में लंबित फाइलों की संख्या 3,659 थी, जो अब बढ़कर 4,000 के करीब पहुँच चुकी है। इस दौरान, 2019 की 154 फाइलों की संख्या अब 200 तक पहुँच गई है, और 2023 तक इन मामलों की संख्या 478 तक पहुँच गई है। इस बढ़ोतरी के पीछे आर्थिक स्थिति और व्यक्तिगत मतभेद ही मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
पति-पत्नी के रिश्तों में आई दरार
अब तक पारंपरिक परिवारों में यह देखा जाता था कि पति-पत्नी के रिश्तों में कोई बड़ी दरार नहीं आती थी, लेकिन अब आर्थिक स्थिति और सामाजिक दबाव के कारण यह रिश्ते भी धीरे-धीरे टूटते जा रहे हैं। कुछ मामलों में तो विवाद इतने बढ़ गए हैं कि ये थाने तक पहुँचने लगे हैं।
क्या है इसके पीछे का कारण?
इन झगड़ों का मुख्य कारण सामाजिक प्रतिष्ठा और व्यक्तिगत इच्छाओं का असंतुलन है। परिवारों में भले ही आधुनिकता का प्रसार हो, लेकिन पुराने पारंपरिक मूल्य अभी भी महिलाओं पर दबाव डालते हैं। परिवारों की सामाजिक स्थिति और आर्थिक संपत्ति की असमानता के कारण ये विवाद और भी गंभीर होते जा रहे हैं।
इस प्रकार, अगर इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह भविष्य में और भी बढ़ सकते हैं। पारिवारिक झगड़ों के समाधान के लिए परिवार परामर्श केंद्रों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन इन मुद्दों का सामाजिक और मानसिक स्तर पर समाधान भी आवश्यक है।