Property Rights: दादा, पिता और भाई की हो जाएगी छुट्टी, ये कानून दिलाएगा आपको पैतृक संपत्ति में हक
समय के साथ पैतृक संपत्ति का विवाद (Property Dispute) बढ़ने लगा है। यह समस्या विशेष रूप से तब उभरती है जब परिवार के पुरुष सदस्य संपत्ति के वितरण (Property Distribution) में न्यायपूर्ण तरीके से भागीदारी की अनुमति नहीं देते।
Property Rights: आजकल की बदलती परिवारिक संरचना में जहां संयुक्त परिवार (Joint Family) धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं वहीं छोटे परिवारों में किसी भी प्रकार की संपत्ति को लेकर विवाद (Property Disputes) आम बात बन गई है। अक्सर देखा जाता है कि जब किसी परिवार के सदस्य पैतृक संपत्ति में (Inherited Property) हिस्सा मांगते हैं तो उन्हें वह हिस्सा नहीं दिया जाता। इस कारण भाई-भाई, पिता-पुत्र और परिवार के बीच तनाव पैदा हो जाता है। कुछ मामलों में विवाद न्यायालय तक पहुंच जाता है जिसमें परिवारिक संबंधों में दरारें आ जाती हैं। खासकर लड़कियां (Daughters) ऐसे मामलों में अपनी संपत्ति से वंचित रहती हैं।
Sarso Bhav : सरसों के भाव में तेजी, मंडियों में हलचल बढ़ी, जानिए ताजा अपडेट
समय के साथ पैतृक संपत्ति का विवाद (Property Dispute) बढ़ने लगा है। यह समस्या विशेष रूप से तब उभरती है जब परिवार के पुरुष सदस्य संपत्ति के वितरण (Property Distribution) में न्यायपूर्ण तरीके से भागीदारी की अनुमति नहीं देते। हर तीसरे परिवार में संपत्ति पर विवाद देखने को मिलता है और इस कारण कई बार रिश्तों में भी कड़वाहट (Tension in Relationship) बढ़ जाती है। एक सामान्य धारणा यह है कि पैतृक संपत्ति पर केवल पुरुषों का हक होता है लेकिन कानून अब बदल चुका है। खासकर हिंदू उत्तराधिकार (Hindu Succession) कानून ने बेटियों को भी पैतृक संपत्ति का समान हक (Equal Rights) दिया है।
पैतृक संपत्ति और उसके अधिकार
पैतृक संपत्ति वह संपत्ति है जो आपके पूर्वजों द्वारा छोड़ी जाती है और यह आपकी विरासत (Heritage) में आती है। इस संपत्ति पर अधिकार जन्म से ही मिल जाता है। कानून के तहत, अगर पैतृक संपत्ति को बांटा या बेचा जाए, तो उसमें बेटों और बेटियों को बराबर अधिकार मिलते हैं। पहले यह अधिकार केवल लड़कों तक सीमित था, लेकिन 2005 में किए गए संशोधन (Amendment in Hindu Succession Act) के बाद बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा (Equal Share in Property) मिला है। इस नए कानून ने बेटियों को पारंपरिक रूप से सहेज रखे गए उनके अधिकारों के लिए लड़ने का अवसर प्रदान किया है।
जब किसी को संपत्ति में उनका हक नहीं दिया जाता तो वह कानूनी तरीके से उस संपत्ति पर दावा कर सकते हैं। चाहे वह माता-पिता, भाई-बहन या अन्य रिश्तेदार हों अगर वह संपत्ति में हिस्सा देने से मना करें, तो वह कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। कानून के तहत बेटियों को इस अधिकार से वंचित करना अवैध (Illegal Property Claim) है। ऐसे मामलों में जब समझौते से बात न बने, तो व्यक्ति न्यायालय में अपनी शिकायत दर्ज (File a Civil Suit) कर सकता है और उसके हिस्से का दावा कर सकता है। इसके अलावा वह संपत्ति की बिक्री को भी रोकने के लिए अदालत से स्थगन आदेश (Stay Order) प्राप्त कर सकता है।
संपत्ति विवाद और सुलह
कभी-कभी यह देखा जाता है कि परिवार में संपत्ति को लेकर लड़ाई इतनी बढ़ जाती है कि अदालत का रुख (Court Approach) करना पड़ता है। जब इस समस्या का कोई समझौता (Settlement) नहीं निकलता तो यह मामला कोर्ट (Court Case) तक जाता है जो रिश्तों में दरार का कारण बनता है। कई बार जो मामला परिवार के भीतर सहज तरीके से हल हो सकता था, वह कानूनी प्रक्रिया के कारण उलझकर रह जाता है। ऐसे में परिवार के हर सदस्य को यह समझने की आवश्यकता है कि विवाद (Dispute) का समाधान बातचीत और सहमति से भी किया जा सकता है बजाय इसके कि इसे कोर्ट में पहुंचने दिया जाए।
कुछ मामलों में यह देखा गया है कि पैतृक संपत्ति में हिस्सा न मिलने से लोग उस संपत्ति को बेचने का प्रयास करते हैं जिस पर अन्य परिवारिक सदस्यों को कानूनी अधिकार है। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो प्रभावित व्यक्ति अदालत से रोक लगाने की गुहार (Legal Repercussions) कर सकता है जिससे संपत्ति की बिक्री न हो सके।
पैतृक संपत्ति पर बेटियों का अधिकार
पैतृक संपत्ति में बेटियों का हिस्सा अब कानूनी तौर पर सुरक्षित है। हिंदू उत्तराधिकार (Amended Hindu Succession Law) कानून में 2005 में बदलाव हुआ, और इस बदलाव से पहले बेटे ही संपत्ति के प्राकृतिक उत्तराधिकारी होते थे। लेकिन अब बेटियों को भी संपत्ति का पूरा अधिकार मिल गया है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) की धारा 6 के संशोधन के बाद बेटे और बेटियों को समान रूप से अधिकार दिए गए हैं। इस संशोधन के बाद न केवल बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिला बल्कि उन्हें समाज और परिवार के भीतर अपने कानूनी अधिकारों (Legal Rights for Women) को लेकर आवाज उठाने का मौका भी मिला।
नए साल पर राजस्थान वालों को बड़ी सौगात, यहाँ होगा 193 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण
पैतृक संपत्ति में हिस्सा न मिले तो क्या करना चाहिए?
अगर आपको किसी भी वजह से आपकी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है तो आपके पास कानूनी विकल्प मौजूद हैं। सबसे पहले आपको एक कानूनी नोटिस भेजकर संपत्ति पर अधिकार (Property Claim) मांगने का अधिकार होता है। इसके बाद अगर समाधान नहीं मिलता है तो आप अदालत (Court Filing) में मामला दर्ज कर सकते हैं। विशेष रूप से यदि संपत्ति को बेचने का प्रयास किया जा रहा है तो अदालत से बिक्री पर रोक लगवाना संभव है। इसके अलावा उस संपत्ति के खरीददार को भी अदालत में जोड़कर अपने हिस्से का दावा पेश करना पड़ेगा।