12 वर्ष की आयु में ये काम करने लग गई थी मुगल बादशाह की बेटी, किन्नरों से करवाया जाता था ये काम
Mugal Haram: मुगल साम्राज्य में हरम एक ऐसा स्थान था जो महल की महिलाओं के लिए आरक्षित था। यह एक विशेष जगह थी जहां केवल महिलाओं और कुछ विशिष्ट सेवकों को ही प्रवेश की अनुमति थी। यहां रानियां, शहजादियां, दासियां, प्रशिक्षण देने वाली महिलाएं, नौकरानियां, बावर्चिन, नर्तकियां, गायिकाएं, धोबिन और चित्रकार एकसाथ रहते थे। जहांआरा की डायरी में यह उल्लेख मिलता है कि हरम की महिलाओं का जीवन बहुत ही संरक्षित और सीमित था। उनके जीवन में बाहरी दुनिया का प्रवेश न के बराबर था और उनकी जिंदगी हरम की दीवारों के अंदर ही सिमट कर रह गई थी।
Mughal Harem जहांआरा ने मात्र 12 वर्ष की आयु में अपनी डायरी लिखना शुरू किया था। उन्होंने शाहजहां के शासनकाल से पहले और बाद की घटनाओं का सजीव वर्णन अपनी डायरी में किया है। जहांआरा की डायरी मुगल हरम के रहस्यमय संसार की गहराईयों में झांकने का स्रोत है। उन्होंने लिखा है कि हरम में महिलाओं का एक अलग ही संसार था जहां उनकी अपनी ही दुनिया थी।
जहांआरा के अनुसार हरम में महिलाओं का आगमन कई तरीकों से होता था। कुछ महिलाएं शाही परिवार के सदस्यों से विवाह कर हरम में आईं जबकि कुछ को उनकी सुंदरता, कला या अन्य गुणों के कारण चुना गया। हरम में आने के बाद इन महिलाओं का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहता था और वे जैसे दुनिया से गायब हो जाती थीं। जहांआरा ने अपनी डायरी में बताया है कि हरम में महिलाओं को कई तरह के प्रशिक्षण दिए जाते थे ताकि वे कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और अन्य गतिविधियों में निपुण हो सकें।
जहांआरा ने लिखा है कि हरम की महिलाओं का जीवन बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग था। कई महिलाएं जन्म से ही हरम का हिस्सा बन जाती थीं और उन्हें कभी बाहरी दुनिया का दर्शन नहीं होता था। एक बार हरम का हिस्सा बनने के बाद वे पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट जाती थीं। यह एक अलग-थलग जीवन था जिसमें उनके पास केवल हरम की दीवारों के अंदर ही रहने की आजादी थी।
जहांआरा की डायरी में यह भी उल्लेख है कि जब उनकी माँ मुमताज़ महल का निधन हुआ तब वह मात्र 17 वर्ष की थीं। उस समय से ही उन्होंने हरम की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली थी। जहांआरा ने न केवल हरम का प्रबंधन किया बल्कि उन्होंने दिल्ली में कई महलों का निर्माण भी करवाया। उनके द्वारा बनाए गए महलों में से चांदनी चौक विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो आज भी दिल्ली का एक प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है।
जहांआरा की डायरी मुगल साम्राज्य के इतिहास में एक दस्तावेज के रूप में जानी जाती है। इस डायरी के माध्यम से हमें उस समय की महिलाओं के जीवन की बेहतर समझ मिलती है। जहांआरा ने अपने अनुभवों को लिखकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य स्रोत छोड़ दिया है। उनकी डायरी से पता चलता है कि हरम में रहने वाली महिलाएं कितनी परिष्कृत और शिक्षित थीं। उन्होंने कला, साहित्य, संगीत और नृत्य में महारत हासिल की थी लेकिन उनका जीवन हरम की दीवारों के अंदर सिमट कर रह गया था।