Unified Pension Scheme चुनते समय सावधान रहें कर्मचारी, एक गलती से हाथ खाली, पैसा बर्बाद
हाल के समय में सरकारी कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को पुनः लागू करने की मांगें जोर पकड़ती जा रही हैं। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने इन मांगों और विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने के उद्देश्य से एकीकृत पेंशन योजना (Integrated Pension Scheme) को लागू करने का निर्णय लिया है। लेकिन इस नई योजना के खिलाफ भी अब कर्मचारियों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों के यूनियनों का मानना है कि यूपीएस योजना में कई महत्वपूर्ण खामियां हैं जो इसे कर्मचारियों के लिए कम लाभकारी बनाती हैं। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन द्वारा दी गई जानकारी ने इन खामियों को और अधिक उजागर कर दिया है।
एकीकृत पेंशन योजना की सबसे बड़ी खामी
यूपीएस योजना की सबसे खामी तब सामने आती है जब कोई कर्मचारी वॉलंटरी रिटायरमेंट (employee voluntary retirement) लेने का फैसला करता है। यूपीएस के तहत यदि कोई कर्मचारी अपनी निर्धारित उम्र से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेता है तो उसे पेंशन पाने के लिए तब तक इंतजार करना पड़ता है जब तक वह निर्धारित सेवानिवृत्ति की आयु तक नहीं पहुंच जाता। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने इस संबंध में स्पष्ट किया है कि चाहे कर्मचारी कितनी भी जल्दी रिटायर हो जाए उसे पेंशन का लाभ तभी मिलेगा जब वह निर्धारित रिटायरमेंट उम्र को पूरा कर लेगा।
यह स्थिति उन कर्मचारियों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा करती है जो विभिन्न कारणों से जल्दी रिटायर होने का निर्णय लेते हैं। विभिन्न विभागों में सेवानिवृत्ति की उम्र अलग-अलग होती है; कुछ विभागों में यह 60 वर्ष कुछ में 58 वर्ष और कुछ में 65 वर्ष तक होती है। इस स्थिति में यदि कोई कर्मचारी 58 साल की उम्र में रिटायर होता है तो उसे यूपीएस के तहत पेंशन पाने के लिए दो साल तक इंतजार करना पड़ेगा।
कर्मचारियों के लिए बढ़ती चिंताएँ
अगर कोई कर्मचारी 50 साल की उम्र में वीआरएस लेता है तो उसे पेंशन पाने के लिए दस साल तक इंतजार करना पड़ेगा। इस प्रकार की स्थिति कर्मचारियों के लिए बेहद चिंता का विषय है। यदि कोई युवा 25 साल की उम्र में नौकरी शुरू करता है और 25 साल की सेवा पूरी करने के बाद 50 साल की उम्र में वीआरएस लेना चाहता है तो उसे अगले दस साल तक पेंशन नहीं मिलेगी। इस संदर्भ में कर्मचारी संघों का कहना है कि इसके साथ एक और समस्या है - यह कोई गारंटी नहीं है कि वह कर्मचारी अगले दस साल तक जीवित रहेगा या नहीं।
यह समस्या यूपीएस योजना की सबसे बड़ी खामी के रूप में उभर कर सामने आई है। कर्मचारी यूनियनों का यह भी मानना है कि यह योजना कर्मचारियों के लिए अधिक तनावपूर्ण और अव्यवहारिक है। वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों के लिए यह योजना पूरी तरह से अनुचित प्रतीत होती है क्योंकि वे पेंशन के बिना अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्षों में वित्तीय असुरक्षा का सामना करेंगे।
इस स्थिति को देखते हुए कर्मचारी संघों ने सरकार से अपील की है कि वह इस योजना की कमियों को दूर करे और वीआरएस लेने वालों के लिए भी पेंशन उपलब्ध कराने के लिए उचित उपाय करे। सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यूपीएस योजना सभी कर्मचारियों के लिए न्यायसंगत और लाभकारी हो चाहे वे निर्धारित उम्र से पहले रिटायर हों या नहीं।
सरकार के सामने यह चुनौती है कि वह कर्मचारियों की मांगों को संतुलित तरीके से पूरा करे और साथ ही सरकारी खजाने पर अत्यधिक बोझ न डाले। पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है और ऐसे में यूपीएस योजना की खामियां सरकार के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रही हैं।